सार
अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सेना के द्वारा की गई घुसपैठ के बाद भारतीय सैनिकों ने भी करारा जवाब दिया। इस झड़प में जहां 6 भारतीय सैनिक घायल हुए, वहीं चीन के दर्जनों सैनिकों की हड्डियां टूट गईं। इस पूरे मामले पर पूर्व आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने एक इंटरव्यू में अपनी बात कही। उन्होंने चीन की हिमाकत की असली वजह भी बताई है।
India-China Border Dispute: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सेना के द्वारा की गई घुसपैठ के बाद भारतीय सैनिकों ने भी करारा जवाब दिया। इस झड़प में जहां 6 भारतीय सैनिक घायल हुए, वहीं चीन के दर्जनों सैनिकों की हड्डियां टूट गईं। इस पूरे मामले पर पूर्व आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने एक इंटरव्यू में अपनी बात कही। इस दौरान उन्होंने चीन की इस हिमाकत की असली वजह का भी खुलासा किया।
चीन ने भारतीय सेना को पेट्रोलिंग से रोका :
- रिटायर्ड आर्मी चीफ जनरल नरवणे ने चीन की इस हिमाकत की वजह बताते हुए कहा कि हमारी सेना हमेशा PP15 तक पेट्रोलिंग करती है। लेकिन चीन के सैनिकों ने हमें वहां पेट्रोलिंग करने से रोकने की कोशिश की। - इतना ही नहीं, भारतीय सेना को पेट्रोलिंग से रोकने के लिए चीन ने एक चौकी बना ली थी। चीन की इस चौकी को लेकर भारत की तरफ से विरोध किया गया। लेकिन चीनी सैनिक फिर भी अपनी बात पर अड़े रहे।
- इसे लेकर जब हमारी सेना ने चीन का खुलकर विरोध किया तो चीनी सैनिक करीब 600 की संख्या में इकट्ठे आ गए। इसके बाद दोनों तरफ के सैनिक भिड़ गए। हालांकि, हमारे सैनिकों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया।
भारत को उकसाने की कोशिश करता है चीन :
पूर्व आर्मी चीफ ने कहा कि चीन पिछले कई सालों से मैकमोहन रेखा को नहीं मानता है। वो अक्सर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत को उकसाने की कोशिश करता रहता है। जनरल नरवणे ने कहा कि चीन की सेना खुद को बेहद स्मार्ट और प्रोफेशनल आर्मी समझती है, लेकिन उनकी हरकतें किसी गली के गुंडे से ज्यादा नहीं हैं।
क्या चीन परखना चाहता है भारत की ताकत और तैयारी, अलग-अलग मौसम में हुई झड़पें दे रहीं इस बात का संकेत
चीन आए दिन करता है ऐसी हरकतें :
पूर्व आर्मी चीफ ने कहा कि चीनी सेना हर साल घुसपैठ की कोशिश करती है। वो अक्सर हमारे इलाके में आने की हिमाकत करते हैं। लेकिन हमारे सैनिक उन्हें हर बार करारा जवाब देती है। बता दें कि जून, 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भी दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। इस झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। वहीं, चीन के 38 सैनिक मारे गए थे।
पिछले 60 साल में भारत-चीन के बड़े विवाद :
1967 - सिक्किम तिब्बत बॉर्डर पर चो ला के पास भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। इसमें भारत के 80 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। वहीं, चीन के 400 सैनिक मारे गए थे।
1975 - अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीनी सैनिकों ने असम राइफल्स के जवानों पर हमला किया। इस हमले में 4 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे।
1987 - अरुणाचन प्रदेश के तवांग जिले के समदोरांग चू इलाके में दोनों देशों के सैनिकों में टकराव हुआ। हालांकि, बातचीत के चलते मसले को सुलझा लिया गया था।
2017 - डोकलाम में चीन ने सड़क बनाने का काम शुरू किया, जिसके चलते भारतीय सेना ने विरोध किया। करीब 73 दिन तक भारत-चीन की सेनाएं डटी रहीं। हालांकि, बाद में बातचीत के जरिए मामला शांत हो गया था।
2020- लद्दाख की गलवान घाटी में एक बार फिर भारत-चीन की सेना में झड़प हुई। इसमें 20 भारतीय सैनिक बलिदान हो गए। वहीं, चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन की आर्मी ने सिर्फ 4 सैनिकों के ही मारे जाने की बात कही थी।
2022 - अरुणाचल के तवांग में चीनी सैनिकों ने भारतीय पोस्ट पर घुसपैठ कर उसे हटाने की कोशिश की। इसमें भारत के 6 जवान घायल हो गए। वहीं दो दर्जन से ज्यादा चीनी सैनिकों की हड्डियां टूटीं।
ये भी देखें :
तवांग पर आखिर क्यों कब्जा जमाना चाहता है चीन, सामने आ रहीं ये 5 बड़ी वजहें