सार
भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंगल पांडे की मंगलवार को 196वीं जयंती है। मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा में हुआ था। मंगल पांडे 1849 में अंग्रेजी सेना में भर्ती हुए थे। हालांकि, उन्हें अंग्रेज फौज के खिलाफ विद्रोह भड़काने के लिए फांसी पर चढ़ा दिया गया था।
Mangal Pandey Birthday: भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंगल पांडे की मंगलवार को 196वीं जयंती है। मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा में हुआ था। मंगल पांडे 1849 में अंग्रेजी सेना में भर्ती हुए थे। उन्हें बैरकपुर की सैनिक छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में शामिल किया गया था। पांडे पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आजादी की लड़ाई की पहली चिंगारी भड़काने वाले मंगल पांडे को फांसी दे दी गई थी।
जब अंग्रेजी सेना से भर गया मंगल पांडे का दिल :
मंगल पांडेय ने सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ क्रांति की शुरुआत की थी। दरअसल, ब्रिटिश अफसरों की भारतीयों के प्रति क्रूरता देखकर अंग्रेजी सेना से उनका मन भर गया था। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 29 मार्च 1857 को उन्होंने बैरकपुर में अंग्रेजों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया था।
डर के चलते 10 दिन पहले दे दी फांसी :
अंग्रेज अफसरों पर हमला करने के लिए मंगल पांडे का कोर्ट मार्शल कर दिया गया। इसके बाद 18 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी की तारीख तय हुई। हालांकि, अंग्रेज मंगल पांडेय की फांसी की वजह से बिगड़ने वाले हालात को लेकर पहले से ही काफी डर गए थे। इसी डर के चलते अंग्रेजों ने उन्हें गुपचुप तरीके से 10 दिन पहले यानी 8 अप्रैल को ही फांसी दे दी थी।
कलकत्ता से बुलाने पड़े थे जल्लाद :
दरअसल, बैरकपुर में किसी भी जल्लाद ने मंगल पांडे को फांसी पर चढ़ाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद कहीं से जल्लाद नहीं मिलने पर ब्रिटिश अफसरों ने कलकत्ता से चार जल्लाद बुलाए थे। यह खबर पता चलते ही कई छावनियों में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लोगों ने विद्रोह कर दिया। इसके चलते अंग्रेजों ने मंगल पांडे को गुपचुप तरीके से 8 अप्रैल 1857 की सुबह फांसी पर लटका दिया।
मंगल पांडे की लाइफ पर बनी फिल्म :
मंगल पांडे की जिंदगी पर 2005 में फिल्म बनी थी। इस फिल्म में मंगल पांडे का किरदार आमिर खान ने निभाया था। मंगल पांडे के सम्मान में 1984 में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया था। बता दें कि उन्हें बैरकपुर में 29 मार्च की शाम अंग्रेज अफसरों पर गोली चलाने और तलवार से हमला करने के साथ ही सैनिकों को भड़काने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।
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