सार
सुप्रीम कोर्ट को बीजेपी की नुपुर शर्मा पर कमेंट पर सोशल मीडिया पर कठोर आलोचना का सामना करना पड़ा था। नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करके पूरे देश को सांप्रदायिक तनाव में झोक दिया था। देश ही नहीं विदेशों में भी इस कमेंट का भारी विरोध हुआ था।
नई दिल्ली। भारत के होने वाले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) ने कोर्ट की आलोचनाओं पर अपनी बेबाक राय रखते हुए कहा कि निर्णयों की रचनात्मक आलोचना किसी की भी हो सकती है। आप अदालतों के फैसलों की आलोचना करिए लेकिन न्यायाधीशों पर व्यक्तिगत हमले या आलोचना नहीं कीजिए। जस्टिस यूयू ललित 27 अगस्त को भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे। वह सीजेआई एनवी रमना (CJI NV Ramana) की जगह लेंगे।
कोई भी न्यायाधीश कानून के दायरे में ही फैसले सुनाता
न्यायाधीशों के व्यक्तिगत हमले के बारे में पूछे जाने पर न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि एक न्यायाधीश अपने फैसले और आदेश के माध्यम से ही बोलता है। इसलिए वह सार्वजनिक क्षेत्र में जो कुछ भी करते हैं, वह निश्चित रूप से किसी भी व्यक्ति द्वारा आलोचना या विश्लेषण के लिए उपलब्ध है। आलोचना कोई भी कर सकता है चाहे वह कानूनी विद्वान हो या कोई भी व्यक्ति हो, यहां तक कि एक आम भी हो। लेकिन व्यक्तिगत नहीं होना चाहिए। लेकिन किसी एक मामले पर कोई आलोचना करने से पहले यह भी याद रखना चाहिए कि किसी भी न्यायाधीश को उसके एक फैसले या निर्णय पर आंकलन न हो।
निर्णय की आलोचना करें, यथासंभव दृष्टिकोण का भी
देश के होने वाले मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने कहा कि निर्णय की आलोचना करें, यथासंभव दृष्टिकोण की आलोचना करें। आपके पास एक प्रतिवाद हो सकता है। आप कह सकते हैं कि शायद, 'मुझे लगता है कि न्यायाधीश पहले के बाध्यकारी दृष्टिकोण को समझने या ध्यान में रखने में विफल रहे हैं, और इसलिए कहते हैं कि निर्णय बाध्य कानून के कोण पर परीक्षण नहीं किया जा सकता है।
नुपुर शर्मा पर कमेंट के बाद न्यायाधीशों को किया गया था ट्रोल
इससे पहले कई मुख्य न्यायाधीशों ने भी यही बात कही थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को बीजेपी की नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) पर कमेंट पर सोशल मीडिया पर कठोर आलोचना का सामना करना पड़ा था। नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करके पूरे देश को सांप्रदायिक तनाव की आग में झोक दिया था। देश ही नहीं विदेशों में भी इस कमेंट का भारी विरोध हुआ था। आलम यह था कि भारत सरकार को सफाई देनी पड़ी थी।
सीजेआई रमना भी कर चुके हैं आलोचना
कुछ ही समय बाद, सीजेआई एनवी रमना ने कहा था कि टीवी डिबेट और सोशल मीडिया पर कंगारू कोर्ट, देश को पीछे ले जा रहे हैं। जस्टिस रमना ने रांची में एक कार्यक्रम में कहा था कि सोशल मीडिया में जजों के खिलाफ संगठित अभियान चल रहे हैं। जज तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। कृपया इसे कमजोरी या लाचारी न समझें। उन्होंने कहा कि नए मीडिया टूल्स में व्यापक विस्तार करने की क्षमता है, लेकिन वे सही और गलत, अच्छे और बुरे और असली और नकली के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं।
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