सार
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक को शुक्रवार को शीर्ष अदालत के सामने पेश किया गया। उसे कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया था हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक की व्यक्तिगत मौजूदगी पर नाराजगी जाहिर की।
नई दिल्ली. टेरर फंडिंग मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के सरगना यासीन मलिक को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया। सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल के साथ उसे अदालत लाया गया हालांकि कोर्ट ने व्यक्तिगत तौर पर मलिक की मौजूदगी पर नाराजगी जाहिर की। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- कोर्ट द्वारा ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया था कि यासीन मलिक को अदालत के समक्ष पेश किया जाना है। साथ ही एसजी ने जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ को आश्वसन दिया कि यह तय करने के लिए प्रशासनिक कदम उठाए जाएंगे कि भविष्य में उसे इस तरह से बाहर न लाया जाए।
केंद्र सरकार ने घटनाक्रम को बताया गंभीर
यासीन मलिक को जम्मू अदालत के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था। मलिक के कोर्ट में पेश होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गृह सचिव को पत्र लिखते हुए इसे गंभीर सुरक्षा चूक करार दिया। उन्होंने पत्र में लिखा कि वह भाग सकता था या उसे जबरन ले जाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि यासीन मलिक के मामले की गंभीरता को देखते हुए सीआरपी कोड की धारा 268 के तहत आदेश लागू है। जिसके तहत जेल अधिकारियों के पास मलिक को जेल परिसर से बाहर लाने की अनुमति नहीं थी और न ही उनके पास ऐसा करना कोई कारण था।
जज ने मामले से खुद को अलग किया
यासीन मलिक के मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। कहा कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं था जिसमें यासीन मलिक को कोर्ट परिसर में लाने के लिए कहा गया हो। इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया कि अदालत के आदेश की गलत व्याख्या करने पर जेल अधिकारियों की ओर से मलिक को पेशी के लिए लाया गया। उन्होंने बेंच से आदेश को स्पष्ट करने का अनुरोध किया। इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि वे कोई आदेश पारित नहीं कर सकते क्योंकि वह मामले की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। वहीं कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा के मद्देनजर वर्चुअल पेशी के तरीके उपलब्ध हैं। अब मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।
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क्यों कोर्ट लाया गया यासीन ?
बता दें, यासीन मलिक पर 1989 में चार भारतीय सेना वायुसेना कर्मियों की हत्या और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद की किडनैपिंग का आरोप है। पिछले साल सितबंर माह में NIA की कोर्ट ने गवाहों से बहस करने के लिए यासीन मलिक की पेश के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया था। एनआई कोर्ट के इस फैसले का विरोध करते हुए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल की थी।
कौन है यासीन मलिक ?
यासीन मलिक कश्मीरी आतंकी और अलगाववादी नेता है। वह शुरुआत से घाटी की राजनीति में सक्रिय रहा है। उस पर युवाओं को भड़काने और हाथों में बंदूक लेने के लिए प्रेरित करने का आरोप है। इतना ही नहीं, 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने पर विवश करने में भी यासीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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