सार

प्रकाश पादुकोण दुनिया के पूर्व नंबर-1 बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। पादुकोण विश्व चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय भी हैं। पादुकोण को 2018 में बीएआई का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया था। 

नई दिल्ली। देश के दिग्गज बैडमिंटन प्लेयर प्रकाश पादुकोण (Prakash Padukone ) को विश्व बैडमिंटन महासंघ (Badminton World Federation) ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (Lifetime Achievement Award) के लिए चुना है। बीडब्ल्यूएफ (BWF)  ने अवार्ड कमिशन की सिफारिश पर प्रकाश पादुकोण के नाम का ऐलान किया है। नामिनेशन के दौरान भारतीय बैडमिंटन संघ ने पुरस्कार के लिये पादुकोण का नाम भेजा था। प्रकाश पादुकोण दुनिया के पूर्व नंबर-1 शटलर हैं।

भारतीय बैडमिंटन एसोसिएशन ने भी दे चुका है अवार्ड

प्रकाश पादुकोण दुनिया के पूर्व नंबर-1 बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। पादुकोण विश्व चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय भी हैं। पादुकोण को 2018 में बीएआई का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया था। 

उत्कृष्ट सेवा के लिये बीडब्ल्यूएफ परिषद ने हरियाणा बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष देवेंदर सिंह, महाराष्ट्र बैडमिंटन संघ के महासचिव एसए शेट्टी , बीएआई उपाध्यक्ष ओ डी शर्मा पूर्व उपाध्यक्ष मानिक साहा को नामित किया है। उत्तराखंड बैडमिंटन संघ की अध्यक्ष अलकनंदा अशोक को महिला और लैंगिक समानता पुरस्कार दिया गया है।

सात साल की उम्र में पहला टूर्नामेंट खेला

दिग्गज शटलर प्रकाश पादुकोण ने 7 साल की उम्र में 1962 में ऑफिशियली जूनियर टूर्नामेंट में भाग लिया। हालांकि, इस मैच में वह हार गए लेकिन इससे सबक लेते हुए अगले दो साल खूब मेहनत की और 1964 में उन्‍होंने स्‍टेट जूनियर टाइटल जीतकर पहली बार सबकी नजरों में आए। लगातार 7 साल तक नेशनल चैंपियन प्रकाश पादुकोण पहली बार 1972 में नेशनल जूनियर चैंपियन बने थे।

इसी वर्ष वह सीनियर नेशनल चैंपियन भी बने और लगातार सात साल तक खिताब पर काबिज रहे। 1978 में उन्‍होंने पहले इंटरनेशनल इवेंट में भाग लिया। पहला गोल्‍ड मेडल कनाडा के एडमंटोन में हुए कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में जीता। 1979 में वह रॉयल एलबर्ट हॉल लंदन में ईवनिंग ऑफ चैंपियंस बने। 1980 में डेनिश ओपन, स्‍वीडिश ओपन जीतने के साथ वह पहले भारतीय बने जिन्‍होंने ऑल इंग्‍लैंड चैंपियनशिप जीती।

1981 में लिया था सन्यास

1980 में ऑल इंग्‍लैंड चैंपियनशिप जीतने के बाद वह दुनिया के टॉप रैंक वाले प्लेयर बन गए। दुनिया के नंबर वन शटलर रहते हुए उन्होंने 1981 में सन्यास का ऐलान कर दिया। सन्यास के बाद वह बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन बने। 

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