सार
भारत के गोल्डन ब्वॉय और जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया है। नीरज ने अमेरिका के यूजीन में 18वीं वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है। उन्होंने 88.13 मीटर भाला फेंक कर यह पदक हासिल किया। बता दें कि नीरज चोपड़ा आज जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचने का सफर बेहद कठिन रहा है।
Neeraj Chopra: भारत के गोल्डन ब्वॉय और जेवलिन थ्रोअर (भाला फेंक) नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया है। नीरज ने अमेरिका के यूजीन में 18वीं वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है। उन्होंने 88.13 मीटर भाला फेंक कर यह पदक हासिल किया। बता दें कि गोल्ड मेडल ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने जीता। पीटर्स ने 90.46 मीटर भाला फेंका। टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीत चुके नीरज चोपड़ा आज जिस मुकाम पर हैं, ये सफर इतना आसान भी नहीं रहा।
24 दिसंबर, 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले में स्थित खंडरा में पैदा हुए नीरज चोपड़ा ज्वाइंट फैमिली में रहते हैं। उनके पिता 4 भाई हैं। नीरज चोपड़ा का परिवार आज भी एक ही छत के नीचे रहता है। उनके परिवार में 19 लोग हैं। अपने चचेरे भाई-बहनों में नीरज सबसे बड़े हैं। शुरुआत में नीरज के परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी। हालांकि, नीरज का रुझान बचपन से ही स्पोर्ट्स में था।
वजन घटाने के लिए फेंकने लगे भाला :
13 साल की उम्र तक नीरज चोपड़ा बेहतर शरारती थे। उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा बेटे को डिसिप्लिन सिखाना चाहते थे। हालांकि, नीरज का खेलों से जुड़ाव बचपन से ही था। लेकिन तब वो काफी मोटे थे। ऐसे में अपना वजन घटाने के लिए नीरज की दिलचस्पी खेलों, खासकर भाला फेंकने की तरफ बढ़ी।
ऐसे करते थे प्रैक्टिस :
नीरज चोपड़ा के चाचा उनका वजन घटाने के लिए उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत के स्टेडियम ले जाते थे। स्टेडियम में जब उन्होंने कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंकते हुए देखा तो उनकी रुचि भी इसी की तरफ हो गई। उन्होंने भाला फेंकने को ही अपना मकसद बना लिया।
डेढ़ लाख का भाला नहीं दिला सकते थे घरवाले :
नीरज चोपड़ा के घरवालों की हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वो उन्हें 1.5 लाख रुपए का जेवलिन दिला सकें। हालांकि, उनके पिता सतीश चोपड़ा और चाचा भीम ने किसी तरह 7 हजार रुपए इकट्ठे किए और बेटे को प्रैक्टिस के लिए एक जेवलिन खरीदकर दिया।
जूनियर विश्व चैंपियनशिप में फेंका 86.48 जेवलिन :
नीरज चोपड़ा उसी भाले से दिन-रात प्रैक्टिस करते रहे। 2016 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने 86.48 मीटर जेवलिन फेंका। इसके बाद वो चर्चा में आए। नीरज का कहना था कि हम किसान हैं, परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है। लेकिन अब मैं अपनी ट्रेनिंग के साथ ही अपनी फैमिली की मदद भी कर सकता हूं।
यूट्यूब पर वीडियो देख खुद को मांजा :
एक समय नीरज चोपड़ा के पास कोच नहीं था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यूट्यूब चैनल पर वीडियो देखकर ही वो प्रैक्टिस करते रहे। इसके बाद 2017 में नीरज सेना से जुड़ गए। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था- हम किसान हैं, परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है। लेकिन अब मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ ही परिवार की मदद भी कर सकता हूं।
ये भी देखें :
नीरज चोपड़ा की जीत के बाद खुशी से झूम उठी मां, पिता की आंखों में थे खुशी के आंसू