सार

हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. स्वागत शाह ने बताया, बुजुर्ग को जब भर्ती कराया गया था तब उनका ऑक्सिजन लेवल डाउन था। उनको हर मिनट पर 25 से 30 लीटर ऑक्सिजन दी गई। उन्होंने जितनी जल्दी रिकवर किया वह हम लोगों के लिए हैरानी वाली बात है। 

अहमदाबाद. अगर कोई कोरोना से संक्रमित हो जाए तो वह डर जाता है और अपनी हिम्मत खो देता है। लेकिन गुजरात के एक 95 वर्षीय बजुर्ग ने सकारात्‍मक सोच और हौसले को इस महामारी के खिलाफ हथियार बनाया और महज 6 दिन में कोरोना को मात देकर घर लौट गए। 

ICU में रहकर कोरोना को दी मात
दरअसल, अहमदाबाद के रहने वाले बुजुर्ग विष्णु पांड्या को एक सप्ताह पहले सांस लेने में दिक्कत के बाद उनके पोते दीपक ने अस्पताल में भर्ती कराया था। जांच करने के बाद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने उनको कोविड केयर हॉस्पिटल के आईसीयू में शिफ्ट किया था। जहां उनका लगातार इलाज चला और रोज अच्छे परिणाम देखने को मिले।

डॉक्टर से लेकर घरवाले तक हैरान
 हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. स्वागत शाह ने बताया, बुजुर्ग को जब भर्ती कराया गया था तब उनका ऑक्सिजन लेवल डाउन था। उनको हर मिनट पर 25 से 30 लीटर ऑक्सिजन दी गई। बुजुर्ग सीओपीडी और यूरिनैरी समस्या से जूझ रहे थे। उनका एक ऑपरेशन भी हो चुका है। इन सब  बीमारियों के बावजूद वह कोरोना से जंग जीत गए। उन्होंने जितनी जल्दी रिकवर किया वह हम लोगों के लिए हैरानी वाली बात है। इसके पीछे उनकी इच्छाशक्ति और पॉजिटिव सोच रही है। वह अब पूरी तरह ठीकर होकर घर चले गए।

घरवाले मान चुके थे हार
जब बुजुर्ग विष्णु पांड्या अपने घर पहुंचे तो लोगों ने ताली बजाकर फूल देकर उनका स्वागत किया। बुजुर्ग के 28 वर्षीय पोते दीपल पांड्या ने कहा, 'मेरे दादाजी को तमाम स्वास्थ्य की समस्याएं हैं। उनकी जो हालत थी हम लोग हार मान चुके थे। लेकिन दादाजी की इच्छाशक्ति ने उन्हें फिर से ठीक कर दिया। उनके कूल्हों की दो सर्जरी भी हो चुकी हैं।

हर समय देखते रहते थे धार्मिक चैनल
जानकारी के मतुबकि, बुजुर्ग अस्पताल में हर वक्त धार्मिक चैनल देखते रहते थे। साथ ही पूरे स्टाफ और मरीजों से प्यार से बात करते थे। उनको देखकर ऐसा नहीं लगता था कि वह कोरोना से ग्रसित हैं। वह कहते थे कि मैं जल्द ठीक होकर घर जाऊंगा।