सार
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 20 अगस्त को 75वीं जयंती है। राजीव गांधी ऐसे नेता रहे हैं, जिन्हें भारत में संचार क्रांति लाने का श्रेय जाता है। हालांकि उनके साथ कई विवाद भी जुड़े रहे हैं। यहां आपको एक ऐसे विवाद के बारे में बता रहे हैं, जिसने पूरी दुनिया हिला दी थी।
भोपाल. भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक राजीव गांधी की 20 अगस्त को 75वीं जयंती है। राजीव गांधी के साथ एक ऐसा विवाद जुड़ा है, जिसने दुनिया को हिला दिया था। यह विवाद है भोपाल गैस कांड के आरोपी एंडरसन को घटना के बाद अमेरिका भगाने का। 2-3 दिसंबर, 1984 को भोपाल में यूनियन कार्बाइड की कंपनी से जानलेवा गैस लीक होने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। बताते हैं कि 8000 मौत तो त्रासदी के 2 हफ़्ते के अंदर ही हो गई थीं। अब तक अनुमान है कि 25000 लोगों की गैस संबंधी बीमारी से मौत हो चुकी है। वहीं हजारों लोग अब भी पीड़ित हैं।
वॉरने को भगाने में की थी मदद..
जब-जब भोपाल गैस कांड का जिक्र होगा, तब तक राजीव गांधी की भूमिका याद आती रहेगी। वहीं जब-जब राजीव गांधी को याद किया जाएगा, तब-तब लोगों के जेहन में भोपाल गैस कांड जहर बनकर सांसें उखाड़ता रहेगा। आरोप है कि कंपनी के मालिक वॉरेन एंडरसन को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी सरकार ने भगाने में मदद की थी। एंडरसन को सरकारी प्लेन में बैठाकर सुरक्षित भोपाल से दिल्ली पहुंचाया गया। वहां से उसे अमेरिका जाने दिया गया।
अर्जुन सिंह ने अपनी किताब में किया था जिक्र
भोपाल गैस कांड के दौरान अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अर्जुन सिंह पर कन्हैयालाल नंदन ने 'मोहे कहां विश्राम' नामक पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक में भोपाल गैस कांड के दौरान की कुछ घटनाओं का जिक्र है। इसमें कहा गया कि राजीव गांधी के मौखिक आदेश के बाद अर्जुन सिंह ने वॉरेन को भोपाल से जाने दिया था। जब भोपाल गैस त्रासदी हुई, उसके एक महीने पहले ही राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे। त्रासदी के बाद बाद जब एंडरसन भोपाल पहुंचा, तब लोग आक्रोशित थे। इस पर प्रशासन ने उसे सुरक्षा देने से साफ मना कर दिया था। तब राजीव गांधी ने तत्कालीन गृहमंत्री पीवी नरसिंहाराव के जरिये अर्जुन सिंह को निर्देश दिए थे कि एंडरसन को सुरक्षित दिल्ली पहुंचाया जाए। उस वक्त भोपाल के कलेक्टर मोती सिंह थे। मोती सिंह ने भी अपनी पुस्तक-'भोपाल गैस त्रासदी का सच' में इस बात का जिक्र किया है। इसी पुस्तक के आधार पर उनके खिलाफ भी एंडरसन को भगाने का मुकदमा चलाया गया था। भगोड़ा घोषित एंडरसन को भारत सरकार कभी दुबारा यहां नहीं ला सकी। 92 साल की उम्र में 29 सितंबर, 2014 को अमेरिका के फ्लोरिडा में एंडरसन की मौत हो गई थी।