सार
2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद दंगे हुए थे। लीमखेड़ा तहसील में बिल्किस बानो के साथ आरोपियों ने गैंगरेप किया था। बाद में फैमली के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी। इस मामले में कोर्ट ने आरोपियों को अजावन जेल की सजा दी थी।
गांधीनगर. गोधरा की उपजेल में बंद बिल्किस बानो रेप केस के सभी आरोपियों को रिहा कर दिया गया है। सभी 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। आरोपियों को 15 अगस्त के मौके पर गुजरात सरकार की माफी योजना के तहत रिहा किया गया है। बता दें कि गुजरात में हुए 2002 के दंगों के बाद बिल्किस बानो के साथ सामूहिक गैंगरेप के बाद उसके परिवार के 7 सदस्यों का मार दिया गया था। जिसके बाद सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
गर्भवती थी बिल्किस बानो
2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद दंगे हुए थे। इस दौरान लीमखेड़ा तहसील में बिल्किस बानो के साथ आरोपियों ने गैंगरेप किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना के समय बिल्किस बानो गर्भवती थी। गैंगरेप के बाद उसकी फैमली के सात सदस्यों को मार दिया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद कोर्ट ने 2008 में मामले में सुनवाई करते हुए आरोपियों को दोषी पाया था और अजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अलग-अलग जेल में रहने के बाद आरोपियों को गोधरा की उपजेल में रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट में भी लगाई थी याचिका
आरोपियों के द्वारा 15 साल की सजा काटने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिहाई के लिए याचिका लगाई गई थी। कोर्ट ने इनकी याचिका पर सुनवाई के बाद रिहाई के लिए मंजूरी दे दी थी। कोर्ट से स्वीकृति मिलने के बाद राज्य सरकार की माफी योजना के तहत इन्हें रिहा कर दिया गया।
राज्य सरकार ने बनाई थी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिहाई की याचिका स्वीकृत करने के बाद आरोपियों की हिराई के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेठी का हेड पंचमहल के कलेक्टर सूजल माएत्रा को बनाया गया था। कमेटी ने आरोपियों की रिहाई के लिए सर्वसम्मिति से फैसला लिया। जिसके बाद उन्हें जेल से छोड़ा गया।
कौन हैं 11 आरोपी जिन्हें मिली रिहाई
जिन 11 आरोपियों को जेल से छोड़ा गया है उनमें जसवंतभाई नई, गोविंदभाई नई, शैलेश भट्ट, राधेशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोर्धिया, बकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं।
एक आरोपी की कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
एक आरोपी राधेश्याम शाह ने सजा की माफी के लिए गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उनकी याचिका पर छूट देने का फैसला गुजरात नहीं बल्कि महाराष्ट्र सरकार फैसला लेगी।
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