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4 महीने की गर्भवती पत्नी और 5 साल की बेटी घर में अकेली, पुलिस अफसर ड्यूटी पर डटा
देहरादून, उत्तराखंड. लॉकडाउन का पालन कराने पुलिसकर्मी पूरी शिद्दत से ड्यूटी निभा रहे हैं। इनमें कई पुलिसवाले ऐसे भी हैं, जिनकी पत्नी गर्भवती हैं या छोटे बच्चे। इसके बावजूद पुलिसवाले अपनी ड्यूटी से कोई कोताही नहीं बरत रहे। यह कहानी भी ऐसे ही एक पुलिस अधिकारी की है, जिसकी पत्नी 4 महीने की गर्भवती है। 5 साल की बेटी का कुछ समय पहले ही गले का ऑपरेशन हुआ है। ऐसे में उसे पापा के प्यार की बहुत जरूरत है, लेकिन पिता अपनी ड्यूटी की खातिर कई दिनों से घर नहीं आया। संक्रमण के खतरे को देखते हुए वो पुलिस चौकी में ही सो रहा है। यह हैं ASI आशीष रावत और उनकी छोटी-सी फैमिली। ये देहरादून की बाईपास चौकी में पदस्थ है। ये पिछले 23 मार्च को लॉकडाउन के दिन से ही वहां ड्यूटी कर रहे हैं। तब से वे घर नहीं आए। वे वीडियो कॉल के जरिये ही बच्ची और पत्नी का चेहरा देख लेते हैं।
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आशीष रावत की बेटी का नाम मीमांसा है। वहीं, पत्नी का नाम सोनम। 23 मार्च को जब लॉकडाउन की घोषणा हुई, तब आशीष कुछ समय के लिए घर आए थे। जरूरी सामान घर पर रखवाकर फिर ड्यूटी पर चले गए।
आशीष रावत इस कठिन परिस्थिति में भी मुस्कराते रहते हैं। वे कहते हैं कि पुलिस की जरूरत ऐसे हालात में अधिक होती है। हमें मुस्कराते हुए हर संकट का सामना करना है।
ASI आशीष रावत की पत्नी सोनम कहती हैं कि इस समय देश को सबकी बहुत जरूरत है। (आगे पढ़िये ऐसे ही कोरोना वॉरियर्स की कहानी)
यह हैं अहमदाबाद की रहने वालीं 28 साल की किंजन गनात्रा। ये गर्भवती होने के बावजूद पिछले दो महीने से लगातार ड्यूटी कर रही हैं। वो भी किसी दवाब में नहीं, स्वेच्छा से। पूरे जोश और मुस्तैदी के साथ। किंजन 6 महीने की गर्भवती हैं। ऐसे में इन्हें अपना भी पूरा ख्याल रखना पड़ता है। किंजन की ड्यूटी राजकोट के हनुमान मढ़ी चौक से लेकर सिविल हॉस्पिटल चौक तक मौजूदा दुकानों की चेकिंग करने में लगाई गई है। दुकानदार चीजों के रेट मनमाने न लगाएं और अन्य किसी तरह की गड़बड़ी न करें, इस पर किंजन कड़ी निगरानी रखती हैं। वे रोज अपनी स्कूटर से घर से निकलती हैं। फिर करीब 100 दुकानों पर जाकर चेकिंग करती हैं।
यह हैं आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में नगर निगम की कमिश्नर IAS गुम्माला। ये अपने दुधमुंहे बच्चे को गोद में लेकर ड्यूटी करने जाती हैं। वे कहती हैं कि इस कठिन समय में घर-परिवार और ड्यूटी दोनों अगर ठीक से निभा लिया, तो समझिए आप सफल हुए।