सार
यह तस्वीर कोरोना संक्रमण को लेकर राज्य सरकारों की व्यवस्थाओं की हकीकत सामने लाती है। इस एक दिन की बच्ची की मां को संक्रमण निकला है। जब उसे डिस्चार्ज किया गया, उसके अगले दिन संक्रमण की पुष्टि हुई। अब मां बच्ची को साथ लेकर हॉस्पिटल के चक्कर काटते देखी गई। बच्ची को कार की सीट पर लिटाकर मां इलाज को भटक रही थी, लेकिन बच्ची को संभालने वाला कोई नहीं था।
अहमदाबाद, गुजरात. कोरोना संक्रमण इस बच्ची और उसकी मां के लिए दोहरी परेशानी लेकर आया है। इस बच्चे के जन्म के बाद मां को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। यानी जच्चा-बच्चा को डिस्चार्ज करने के अगले दिन मां की रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। अब मां अपना इलाज कराने बच्चे को लेकर हॉस्पिटल में भटकते देखी गई। लेकिन उसे हर जगह परेशान होना पड़ा। इस दौरान बच्चे को कार की सीट पर लेटाकर जाना पड़ा। उसकी देखभाल करने के लिए कोई आगे नहीं आया।
यह है पूरा मामला..
यह तस्वीर कोरोना संक्रमण को लेकर राज्य सरकारों की व्यवस्थाओं की हकीकत सामने लाती है। बेशक अहमदाबाद में कई कोविड सेंटर खोल दिए गए हैं, लेकिन व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया गया। इस बच्चे का जन्म एलजी हॉस्पिटल में हुआ है। बच्चे की मां गोमतीपुरा में रहती है। शुक्रवार को यह महिला इलाज के लिए अल अमीन हॉस्पिटल पहुंची, तो उसे वहां भर्ती नहीं किया गया। उससे कहा गया कि वो एलजी हॉस्पिटल से लेटर लेकर आए। इसके बाद महिला बच्चे को कार में लेकर कागजी कार्रवाई के लिए भटकती रही।
लॉकडाउन से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा बुरा असर
इस बीच गुजरात साइकोलॉजिकल इंटरवेंशन हेल्पलाइन टू प्रिवेंट कोविड-19 से जुड़े 7 मनोचिकित्सकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण लोगों की मानसिक हालत पर बुरा असर पड़ रहा है। सुझाव दिया गया है कि जहां कोरोना की स्थिति खराब नहीं है, वहां लोगों को बाहर निकलने की अधिक छूट दी जानी चाहिए।