सार

लॉकडाउन के चलते कई शादियां कैंसल हो गई हैं। जिन्होंने पूरे इंतजाम कर रखे थे, उन्हें सबकुछ समेटना भारी पड़ रहा है। मामला उत्तराखंड के हल्द्वानी का है। 15 अप्रैल को उसकी शादी थी। इसके लिए उसने 500 मुर्गे ज्यादा पाल रखे थे। अब ये मुर्गे पड़ोसियों को बेचने की नौबत आ गई है। सबसे बड़ी दिक्कत, सस्ते में बेचने के बाद भी ग्राहक नहीं मिल रहे।
 

हल्द्वानी, उत्तराखंड. लॉकडाउन ने जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिए हैं। धार्मिक हों या सामाजिक...सब बंद पड़े हुए हैं। जिनकी इस सीजन में शादियां थीं, उनमें से कइयों ने 2-4 घरवालों की मौजूदगी मे 7 फेरे निपटा दिए..बाकियों ने फिलहाल शादी टालना उचित समझा। यह और बात है कि जिन्होंने शादी के पूरे इंतजाम कर रखे थे, उन्हें सबकुछ समेटना भारी पड़ रहा है।

यहां भी एक दूल्हे के लिए अपनी शादी टालना परेशानी का कारण बन गया है। यहां एक दूल्हा पॉल्ट्री फॉर्म चलाता है। 15 अप्रैल को उसकी शादी थी। इसके लिए उसने 500 मुर्गे ज्यादा पाल रखे थे। अब ये मुर्गे पड़ोसियों को बेचने की नौबत आ गई है। सबसे बड़ी दिक्कत, सस्ते में बेचने के बाद भी ग्राहक नहीं मिल रहे। वहीं, काम-धंधा बंद होने से इनके दाने-पानी का प्रबंधन करना उसके लिए टेंशन बन गया है।

हर दूसरे दिन चिकन बन रहा..
पनियाली गांव के रहने वाले राणा परिवार में 15 अप्रैल को बेटे की शादी होनी थी। मेहमानों की खातिरदारी के लिए दूल्हे ने 500 मुर्गे पाल रखे थे। प्लान था कि 13 से लेकर 15 तक मेहमानों को चिकन के एक बढ़कर एक व्यंजन परोसेंगे। लेकिन लॉकडाउन ने सारे सपनों पर पानी फेर दिया। अब सबसे बड़ा संकट इन मुर्गों को पालना है। दूल्हे मोहित ने बताया कि उनके यहां हर दूसरे दिन चिकन बन रहा, लेकिन इतने सारे मुर्गे कैसे खत्म होंगे, इसकी टेंशन होने लगी है। बाजार बंद होने से उन्हें बेचा भी नहीं ज सकता।

पड़ोसियों को सस्ते का लालच..

दूल्हा अब पड़ोसियों को सस्ते रेट पर मुर्गो बेच रहा है। लेकिन मुर्गों की संख्या इतनी है कि वे न के बराबर बिके हैं। मोहित की चाची बसंती राणा ने कहा कि उन्होंने शादी की शानदार तैयारियां कर रखी थीं, लेकिन सब पर पानी फिर गया।

(खबर को प्रभावी दिखाने काल्पनिक चित्र का इस्तेमाल किया गया है)