सार

सूफी संतों और देश की कुछ चुनिंदा दरगाहों के प्रतिनिधियों का एक दल जम्मू कश्मीर की यात्रा करेगा और वहां के लोगों से मिलकर जमीनी हालात जानेगा। अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अली खान ने यह पहल की है। मकसद है युवाओं को अपना करियर बनाने और जम्मू-कश्मीर में समृद्धि स्थापित करने पर की ओर ध्यान आकर्षित करना ।

जयपुर: सूफी संतों एवं देश की कुछ चुनिंदा दरगाहों के प्रतिनिधियों का एक दल 12 से 14 अक्टूबर तक जम्मू कश्मीर की यात्रा करेगा और वहां के लोगों से मिलकर जमीनी हालात जानेगा। अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अली खान ने यह पहल की है। इस 18 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल की अगुवाई उनके बेटे नसीरूद्दीन चिश्ती करेंगे।

कश्मीर हुआ है सीमा पार चलाए जा रहे प्रोपगेंडे का शिकार

दीवान जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा, ‘‘ कश्मीर भारत के खिलाफ सीमा पार से चलाए जा रहे प्रोपगेंडे का शिकार हुआ है। हमारा मानना है कि कश्मीर के युवाओं को अपना करियर बनाने और जम्मू-कश्मीर में समृद्धि स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम कश्मीरियों और समृद्धि के बीच एक सेतु की तरह काम करना चाहते हैं। इसीलिए सूफी युवाओं का एक समूह कश्मीर जा रहा है। उसमें अलग अलग दरगाहों से सभी सज्जादानशीन के उत्तराधिकारी हैं।’’

शामिल होंगे कई देशों के प्रतिनिधी

यह समूह 12 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2019 तक कश्मीर में वहां के लोगों से मिलेगा तथा कश्मीरियों को देश की मुख्य धारा से कैसे जोड़ा जाए, इस बारे में चर्चा करेगा । उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के बारे में केंद्र सरकार एवं अन्य अधिकारियों को सूचित किया गया है। यह 12 अक्टूबर को नई दिल्ली रवाना से रवाना होगा। प्रतिनिधिमंडल में राजस्थान (अजमेर, जयपुर और झुंझुनू), हैदराबाद, नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और बिहार की दरगाहों से प्रतिनिधि होंगे।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)