सार
जानकारों का कहना कि हकीकत यह है कि डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के प्रति सिखों में गुस्सा है। एक तो डेरे के ज्यादातर अनुयायी शेड्यूल श्रेणी से हैं। उन्होंने डेरो को मजबूत कर खुद को संगठित करने की कोशिश की है।
चंडीगढ़। फाजिल्का जिले की बल्लुआना सीट पर आखिरकार शिअद ने उम्मीदवार बदल दिया है। एशियानेट न्यूज ने शनिवार को ही बता दिया था कि बल्लूआना उम्मीदवार हरदेव का टिकट वापस लिया जा रहा है। क्योंकि वह 16 जनवरी को डेरा सच्चा सौदा सिरसा में समर्थन मांगने गए थे। इस बात को लेकर अकाली दल में जबरदस्त बवाल मच गया था। कोर कमेटी की बैठक बुलाकर विवाद पर विचार किया गया। इसके बाद तय किया गया कि हरदेव का टिकट काट दिया जाए।
अब यहां से अकाली दल ने पिरथी राम सिंह मेघवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है। पंजाबी के पत्रकार हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि ऐसा नहीं है कि अकाली दल डेरे का समर्थन नहीं लेना चाहता। लेकिन इस तरह से सरेआम नहीं। दूसरी वजह यह है कि डेरे से समर्थन पूरी पार्टी के लिए मांगा जाता है। इस तरह से अकेले अकेले उम्मीदवार यदि समर्थन मांगने लगे तो इससे पार्टी को फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है। जानकारों का कहना कि हकीकत यह है कि डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के प्रति सिखों में गुस्सा है। एक तो डेरे के ज्यादातर अनुयायी शेड्यूल श्रेणी से हैं। उन्होंने डेरो को मजबूत कर खुद को संगठित करने की कोशिश की है। कई जगह उन्हें गुरुद्वारे में जाने नहीं दिया जाता है। उन्होंने डेरा बना वहां जाना शुरू कर दिया।
बेअदबी जैसे आरोपों की वजह से शिअद बनाए रखती दूरी
एक वजह यह है कि गुरमीत राम रहीम पर आरोप है कि वह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी जैसी ड्रेस पहन कर अपने समर्थकों को संबोधित करता है। इस पर श्री अकाल तख्त ने इस मामले में कड़ा एतराज जताया था। बेअदबी को लेकर भी डेरा समर्थकों पर आरोप लगते रहे हैं। कांग्रेस ने इसके लिए अकाली दल को सवालों के घेरे में खड़ा किया। क्योंकि तब डेरे ने अकाली दल का समर्थन दिया था। कांग्रेस की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू ने अकाली दल के उस वक्त के उपप्रधान सुखबीर बादल पर डेरे का सपोर्ट करने का आरोप लगा कर खलबली मचा दी थी। क्योंकि मामला धर्म से जुड़ गया था,इसलिए सिख समाज भी अकाली दल से नाराज हो रहा था।
चुनाव में विवाद नहीं चाहता शिअद
इस सब का कारण यह रहा कि अकाली दल ने डेरे से एक दूरी सी बना ली थी। हालांकि बीजेपी की वजह से डेरा अकाली दल को प्राथमिकता देता रहा है। लेकिन, अब स्थिति बदल रही है। इस हालात में अकाली दल नहीं चाहता कि कोई बड़ा विवाद खड़ा हो। इस तरह से जब अकाली दल के उम्मीदवार हरदेव सिंह डेरा पहुंच गए तो विपक्ष को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिला गया। इससे बचने के लिए अकाली दल ने अपना उम्मीदवार ही बदल दिया है।
अब डेरा के फैसले पर टिकी निगाहें
हरपाल सिंह ने कहा कि अब देखना यह भी होगा कि डेरा इस घटनाक्रम को किस अंदाज में लेता है। क्योंकि इस बार अकाली दल से भाजपा अलग है। इस घटना को डेरा भी गंभीरता से लेता है तो अकाली दल को दिक्कत आ सकती है। क्योंकि तब डेरा समर्थकों के वोट छिटक सकते हैं। इसलिए अकाली दल के लिए हरदेव सिंह से टिकट लेना आसान निर्णय नहीं था। अब देखना यह होगा कि इसकी भरपाई अकाली नेता कैसे करते हैं?
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