सार
रविवार को जिस वक्त कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी के 22 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रहे थे, तो बरबस ही 1992 का वक्त याद आ रहा था। तब अमरिंदर सिंह अकाली दल का साथ छोड़कर पंजाब में शिरोमणि अकाली दल पंथक पार्टी बनाई थी।
मनोज ठाकुर, चंडीगढ़। कैप्टन अमरिंदर सिंह के बारे में एक कहावत है- वह कभी हार नहीं मानते। वक्त ने यदि उन्हें मात दी तो वह फिर वापसी करते हैं। क्या इस बार यह संभव हो सकता है? कम से कम जिस हालात में कैप्टन हैं, इससे तो इतनी जल्दी यह संभव होता दिखाई नहीं देता। रविवार को जिस वक्त कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी के 22 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रहे थे, तो बरबस ही 1992 का वक्त याद आ रहा था। तब अमरिंदर सिंह अकाली दल का साथ छोड़कर पंजाब में शिरोमणि अकाली दल पंथक पार्टी बनाई थी।
विधानसभा चुनाव में इस पार्टी को बुरी तरह से हार मिली थी। कैप्टन समाना विधानसभा से चुनाव लड़ रहे थे,तब उन्हें मात्र 856 वोट मिले थे। 1998 में कांग्रेस में विलय कर दिया। जैसे ही सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाला तो कैप्टन को प्रदेशाध्यक्ष बनाया। वह 1999 से 2002 तक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। कांग्रेस में वह 2002 में सीएम बन गए। पंजाब में कांग्रेस को जीतने का जज्बा पैदा करने का कुछ हद तक श्रेय कैप्टन को जाता है।
80 साल की उम्र में नई सियासी जमीन तैयार कर रहे कैप्टन
कैप्टन ने इस बार ही कांग्रेस नहीं छोड़ी, इससे पहले उन्होंने 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में कांग्रेस छोड़ी थी। तब वह लोकसभा के सदस्य थे। कांग्रेस छोड़कर वह अकाली दल में शामिल हो गए थे। वहां तलवंडी साबो से विधायक बने। अकाली सरकार में उन्हें कृषि मंत्री बनाया। यहां भी वह ज्यादा चल नहीं पाए। 80 साल की उम्र में एक बार फिर से कैप्टन नए सिरे से अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में लगे हुए हैं। उन्होंने इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन किया है। रविवार को पहली लिस्ट जारी की।
अटकलों को दरकिनार कर पटियाला से लड़ेंगे कैप्टन
पटियाला कैप्टन का गढ़ है। यहां उन्हें चैलेंज करना दूसरी पार्टियों के लिए आसान नहीं है। कुछ लोगों का यह मानना था कि कैप्टन इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि उनकी उम्र ज्यादा हो गई। लेकिन कैप्टन ने कांग्रेस छोड़ते हुए उस वक्त माहौल को गर्म कर दिया, जब यह दावा किया कि वह नवजोत सिंह सिद्धू को हराने के लिए उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अब उन्होंने अपनी पारंपरिक और सुरक्षित सीट से ही उतरने का ऐलान किया है। सिद्धू को हराने की बात पर उन्होंने कहा कि वह उन्हें हराने का काम करेंगे।
इन सीटों पर खेल बिगाड़ सकता है
पीएलसी ने अमृतसर साउथ से पंजाब लोक कांग्रेस से हरजिंद्र सिंह ठेकेदार को उम्मीदवार बनाया है। वे कांग्रेस से विधायक भी रहे हैं। यहां से कांग्रेस के मौजूदा विधायक इंदरबीर सिंह बुलारिया हैं। ठेकेदार की पंजाबी वोटर्स पर अच्छी पकड़ है। जमीनी स्तर पर मजबूत हैं। भुलथ से कैप्टन की पार्टी से गोरा गिल दोआबा की राजनीति का जाना पहचाना चेहरा है। कैप्टन के समय में कांग्रेस प्रदेश कमेटी के प्रवक्ता भी रहे हैं। वह चुनाव पहली बार लड़ रहे हैं। कांग्रेस से यहां से सुखपाल खैरा को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो कि इस वक्त ईडी की हिरासत में हैं। अकाली दल ने यहां से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर को उतारा है। गौरा गिल के आने से यहां मुकाबला रोचक हो गया है।
नकोदर में अजीत पाल मजबूत स्थिति में
नकोदर में पंजाब लोक कांग्रेस के उम्मीदवार अजीत पाल सिंह हैं। जो 1975 में वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रह चुके हैं। यहां से अकाली दल के गुरु प्रताप सिंह बड़ला उम्मीदवार हैं, जो वर्तमान में भी यहां से विधायक हैं, वह इस बार भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। अजीत पाल की खेलों की वजह से यहां अच्छी पहचान है। उन्हें यहां के मतदाता काफी सम्मान भी देते हैं। बठिंडा अर्बन से कैप्टन ने राज नंबरदार को मैदान में उतारा है। वह यहां जाना माना हिंदू चेहरा हैं। उनकी यहां के व्यापारी वर्ग में अच्छी पकड़ है। 1985 में इनके पिता भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं।
मलेरकोटला से फरजाना आलम उम्मीदवार, कड़ी टक्कर होगी
बीजेपी के साथ कैप्टन का गठजोड़ है, इसलिए यहां से कांग्रेस के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के लिए जीत मुश्किल हो सकती है। मलेरकोटला से पूर्व अकाली विधायक फरजाना आलम खान को कैप्टन ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वह पूर्व डीजीपी स्व. इजहार आलम की पत्नी हैं। फरजाना को यहां जमीनी स्तर पर काम करने वाली नेता के तौर पर जाना जाता है। मुस्लिम मतदाताओं पर उनकी अच्छी पकड़ है। कांग्रेस ने यहां से रजिया सुल्ताना को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह अभी चन्नी मंत्रिमंडल में मंत्री हैं और उनके पति मोहम्मद मुस्तफा भी डीजीपी रह चुके हैं और सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार हैं। इस समय बयानों की वजह से विवादों में हैं। फरजाना यहां वर्तमान विधायक रजिया को कड़ी टक्कर दे सकती हैं।
इन सीटों पर भी दबदबा
पटियाला देहाती से कैप्टन ने यहां के मेयर संजीव शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया। यहां से कांग्रेस ने मौजूदा मंत्री और कैप्टन के साथी रहे ब्रह्म मोहिंदर के बेटे मोहित इंद्र को चुनावी मैदान में हैं। संजीव शर्मा पंजाबी ब्राह्मण हिंदू चेहरा हैं। इनकी पटियाला में अच्छी खासी पकड़ है। इसका लाभ कैप्टन की पार्टी को मिल सकता है। मानसा से कैप्टन ने पूर्व अकाली विधायक और लुधियाना के डिप्टी मेयर प्रेम मित्तल को आत्मनगर से उम्मीदवार बनाया। पूर्व पुलिस अधिकारी मुख्तियार सिंह पंजाब के प्रमुख दलित चेहरा भी हैं। उन्हें निहाल सिंह वाला से उम्मीदवार बनाया है। पूर्व मंत्री जगदेव सिंह तेजपुरी के बेटे सतेंद्र पाल सिंह को लुधियाना साउथ से चुनाव मैदान में उतारा है।
कैप्टन ने उम्मीदवारों का चयन बड़ी सूझबूझ से किया
राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि कैप्टन ने इस बार जो उम्मीदवार चुने हैं, वह काफी मजबूत है। विधानसभा चुनाव में इनका अच्छा खासा प्रदर्शन रह सकता है। इनके आने से दूसरी पार्टियों की जीत के समीकरण भी अब प्रभावित हो सकते हैं। जिससे दूसरे दलों का खेल बिगड़ सकता है। इस तरह से देखा जाए तो कैप्टन ने इस विधानसभा चुनाव को काफी रोचक बना दिया है। देखना यह होगा कि 80 साल के बुजुर्ग कैप्टन क्या एक बार फिर से खुद को कितना साबित कर पाते हैं।
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