सार
राजस्थान के जयपुर में एक महिला परीक्षार्थी को उसकी 8 महीने की बच्ची को परीक्षा के दौरान दूध पिलाने की अनुमति नहीं दी गई। इस दौरान मासूम भूख से तड़पती रही और कॉलेज नियमों का हवाला देता रहा।
जयपुर: राजधानी जयपुर में एक परीक्षा केंद्र प्रबंधन की कठोरता का मामला सामने आया है। मामला एसएस जैन सुबोध पीजी महिला महाविद्यालय का है। विद्यालय प्रबंधन पर आरोप है कि, उन्होंने एक महिला परीक्षार्थी को उसकी 8 महीने की नवजात बच्ची को परीक्षा के बीच में दूध पिलाने की इजाजत नहीं दी। जिसकी वजह से, बच्ची तीन घंटे तक भूख के कारण रोती रही। महिला कॉलेज में बीए की परीक्षा देने के लिए आई थी।
तीन घंटे तक रोती रही बच्ची
जानकारी के मुताबिक, महिला अपनी 8 माह की बच्ची को लेकर उस कॉलेज में बीए की परीक्षा देने के लिए आई थी। बच्ची को संभालने के लिए महिला का पति भी उसके साथ आया था। केंद्र पर सुबह 7 बजे से 10 बजे तक परीक्षा होनी थी और महिला को सुबह 6.30 बजे कॉलेज में रिपोर्ट करना था। ऐसे में उसे बच्ची को दूध पिलाने का वक्त नहीं मिल पाया। महिला बच्ची को अपने पति के पास छोड़ कर परिक्षा देने चली गई। उसके जाते, थोड़ी देर बाद ही बच्ची ने भूख के कारण रोना शुरू कर दिया। इसपर महिला के पति ने परीक्षा केंद्र के अधिकारियों से अनुरोध किया कि, वह बच्ची को उसकी मां तक पंहुचा दे, जिससे वह उसको दूध पिला सके। लेकिन कॉलेज के प्रबंधन ने इस बात की अनुमती नहीं दी।
पैकेट का दूध पीकर बिगड़ी तबीयत
इधर अपनी बेटी को रोता देख, बच्ची के पिता ने पैकेट वाला दूध पिलाकर उसकी भूख शांत करने कि कोशिश की। लेकिन मां का दूध न होने की वजह से, दूध पीने के कुछ वक्त बाद ही बच्ची ने उल्टी कर दी। बच्ची का पिता, बार-बार कॉलेज अधिकारियों से गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। पूरे वाकये के तीन घंटे बीत जाने के बाद, जब महिला परीक्षा हॉल से बाहर निकली तो अपनी बच्ची को बिलखता देख, दूध पिलाकर उसकी भूख शांत की।
प्रबंधन कर रहा था नियमों का पालन किया
महिला के अनुसार ऐसा पहले भी हो चुका है। इससे पहले अप्रैल में जब वह अपनी सेमेस्टर परीक्षा देने के लिए सीकर गई थी, तब उसकी बेटी चार महीने की थी और उस वक्त परीक्षा केंद्र के शिक्षकों ने उन्हें स्टाफ रूम में बैठकर बच्ची को दूध पिलाने की मंजूरी दे दी थी। हालांकि पूरे वाकये पर कॉलेज की प्रिंसिपल प्रमिला जोशी ने कहा है कि, उन्होंने सिर्फ नियमों का पालन किया। उनकी भावनाएं बच्ची के साथ थीं, लेकिन परीक्षा के बीच में बाहर जाने की अनुमति देना, नियमों के खिलाफ होता इसलिए उन्होंने ऐसा नहीं किया।