सार
राजस्थान की सियासत और अशोक गहलोत-सचिन पायलट के चक्कर में सरकारी अफसरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दोनों नेताओं के गुट के चक्कर में नेताओं के इशारों पर खुलेआम और चुपचाप कई असपर निपटाए गए। किसी का लाइन हाजिर किया तो किसी को सस्पेंड कर दिया गया।
जयपुर. राजस्थान में अगले साल चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले इस साल सत्ता वाली पार्टी पूरी तरह से हरकत में आ गई है। नेतागिरी चमकाने के लिए नेताओं ने सबसे आसान टारगेट सबसे मुश्किल विभाग को माना है, यानि पुलिस को। चूंकि पुलिसवालों पर आम जनता को बस नहीं चलता इसलिए नेताओं ने पुलिस को टारगेट करना शुरु कर दिया है। इस साल में और नौ बार ऐसे घटनाक्रम सामने आए हैं जिसमें या तो पुलिस अफसरों को गालियां पड़ी हैं या फिर अफसरों को निपटा ही दिया गया है..... स्पेशल ग्राउंड रिपोर्ट...।
करौली से लेकर जयपुर तक कई बार पुलिसवालों पर गिरी गाज इस साल
करौली में इस साल दंगे हुए। मार्च महीने में रामनवमी की शोभायात्रा में बवाल मचा दिया गया। समाज विशेष का कांग्रेसी पार्षद और उसके साथियों की भूमिका सामने आई। बाद में उनके खिलाफ एक्शन लिया गया। लेकिन इस बीच पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा और सरकार ने अपनी खाल बचाने के लिए पुलिसवालों के खिलाफ जांच बैठा दी। उधर भरतपुर में पहाड बचाने के लिए संघर्ष कर रहे संत की खुद को आग लगाने के मामले में सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार रही। मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने समय पर कार्रवाई नहीं की लेकिन अपनी कुर्सी बचाने के लिए तीन पुलिसवालों के उपर जांच बिठा दी गई। जिनमें एक एसएचओ स्तर का अफसर शामिल है। तीनों को फिलहाल फील्ड से हटा दिया है। वहीं जोधपुर में इस साल दंगे हुए। बीजेपी विधायक सूर्यकांता व्यास के घर के बाहर दंगाईयों ने गाडियां जला दीं। सीएम भी जोधपुर के हैं और व्यास सीनियर भाजपा नेता है। उन्होनें सीएम पर ही हमला बोल दिया। सीएक ने अपनी साख बचाने के लिए तीन पुलिसवालों को लाइन भेज दिया। जिनमें एक एसएचओ शामिल है।
कन्हैया लाल की हत्याकांड में अफसर चढ़े बलि
उदयपुर में तालिबानी तरीके से टेलर कन्हैया लाल की हत्या कर दी गई। पुलिसवालों की साफ भूमिका नहीं थी। लेकिन मामला हिंदु मुस्लिम हो चला था। सरकार ने अपनी और उदयपुर के कांग्रेसी नेताओं की साख बचाने के लिए आईजी और एसपी के तबादले कर दिए और इस मामले में अब तक बीस पुलिसवालों को 16 और 17 सी के नोटिस दे दिए। दस से ज्यादा को पहले ही लाइन हाजिर कर दिया गया है। अब टोंक में बवाल हुआ है। टोंक में कांग्रेसी नेता से धक्का मुक्की करने पर एक आरपीएस और दो एसएचओ सस्पैंड कर दिए गए हैं।
गालियां भी कम नहीं मिलती पुलिस अफसरों को, नेता अपनी साख बचाने के लिए जनता के सामने ही गालियां देते हैं...
लाइन हाजिर, सस्पेंशन और अन्य कार्रवाई के अलावा खाकी वालों को गालियां भी पडती है और वह भी सैंकडों की संख्या के सामने। दो दिन पहले ही बाडमेर में भाजपा के दिग्गज नेता कैलाश चौधरी ने जनता के सामने पुलिसअफसरों को गालियां दी। उनका वीडियो वायरल हो रहा है। करीब तीन महीने पहले बेंगू विधानसभा सीट से कांग्रेसी विधायक राजेन्द्र सिंह ने भैंसरोडगढ़ थानाधिकारी को जमकर गालियां दी। इसका ऑडियो बाहर आने पर भी नेता पर एक्शन नहीं हुआ। झालावाड़ में इसी साल मई में भरी भीड़ के सामने कांग्रेस नेता सुरेश गुर्जर ने एसएचओ कमल किशोर को धक्का मारा और खूब भला बुरा कहा।