सार

पीएम के दौरे में फूट ही गया भाजपा नेताओं में गुटबाजी का घड़ा, वसुंधरा राजे को लेकर हुआ बड़ा खुलासा। बीजेपी नेता छुपाने की लाख कोशिश करते रहे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सब जान गए। बीजेपी की इस दिग्गज नेता को नहीं भेजा गया बुलावा।

बांसवाड़ा (banswara). पीएम का दौरा पूरा हो गया। कुछ मिनट के लिए वे मंच पर आए और हजारों लोगों के सामने अपना पक्ष रखा। इस बीच वे भाजपा नेताओं से मुलाकात नहीं कर सके लेकिन इतना होने के बाद भी भाजपा की फूट और गुटबाजी छुप नहीं सकी। दरअसल, इतने बड़े कार्यक्रम में भाजपा की उस नेता को नहीं बुलाया गया, जिसने कुछ साल पहले मानगढ़ स्मारक का लोकार्पण किया था और वे नेता हैं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे।

जिन्होंने लोकार्पण किया, वही आमंत्रित नहीं
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने 27 सितंबर 2018 को मानगढ़ स्मारक का लोकार्पण किया था और इसे जनता को समर्पित किया था। लेकिन आज आयोजित हुए इस कार्यक्रम में वसुंधरा राजे को ही न्योंता नहीं दिया गया और बिना न्यौता दिए वे नहीं आई। दरअसल इस कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी संस्कृति मंत्रालय के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की थी। मेघवाल ने भाजपा के कई नेताओं को यहां आने का न्यौता दिया था लेकिन इस नेताओं में पूर्व सीएम राजे नहीं थीं। दोनो वरिष्ठ नेताओं में पिछले दिनों आयोजित हुए बीकानेर जिले के एक कार्यक्रम से नाराजगी बताई जा रही है। 

ये सब कुछ हुआ था पिछले दिनों बीकानेर में 
दरअसल पिछले दिनों भाजपा ने बीकानेर में एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में उन नेताओं को भाजपा में फिर से शामिल करने की चर्चा थी जो नेता भाजपा को पहले छोड़ गए थे। इन नेताओं में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी का नाम भी था। भाटी को राजे पक्ष का माना जाता है। यह लगभग तय माना जा रहा था कि भाटी के लिए फिर से भाजपा द्वार खोल ही देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि मेघवाल इसके लिए राजी नहीं थे। दरअसल बीकानेर में भाटी और मेघ्ज्ञवाल के बीच में हमेशा आंकडा रहा है। दोनो ही दिग्गज नेता एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं। इसी से नाराज होकर इस बार मेघवाल ने पूर्व सीएम राजे को न्यौता नहीं भेजा। 

नहीं छिपी आंतरिक कलह, पार्टी में इनका बढ़ रहा कद
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आलाकमान राजे से ज्यादा अुर्जन राम मेघवाला की बातों पर गंभीर है। उनका कद दिल्ली में राजे से कहीं बड़ा है। बीकानेर में हुए इस कार्यक्रम से यह और ज्यादा सामने आ गया कि किस नेता का कितना बड़ा कद है। राजे के साथी भाटी अपनी वापसी को लेकर आश्वस्त थे। बड़ा कार्यक्रम रखा गया था। लेकिन दिल्ली से ग्रीन सिग्नल नहीं मिला और उसके बाद सब कुछ साफ हो गया। चर्चा है कि मेघवाल नहीं चाहते कि भाटी फिर से शामिल हों पार्टी में, इस कारण अब मेघवाल और राजे में भी दूरियां बढ़ती जा रही है। इस पूरे तमाशे से भाजपा का एक धड़ा बेहद खुश है।

यह भी पढ़े- मोदी ने ना कांग्रेसियों की मानी-ना ही बीजेपी वालों की बात सुनी, पीएम का भाषण पूरा लेकिन इच्छा अब भी अधूरी