सार

 राजस्थान के बाड़मेर जिलें के रहने वाले बीएसएफ के हेड कांस्टेबल शहादत से 15 दिन पहले आए थे घर बड़े बेटे को दुलारते हुए कहा था कि तुम्हें भी फौज में जाना है, तैयारी शुरू कर दो। किसे पता था कि अब सावलराम नहीं लौटेंगे
 

बाड़मेर. अफ्रीका के कागों में हुए उपद्रव के दौरान  बीएसएफ के हेड कांस्टेबल बाड़मेर के सावन राम को आज उनके बेटों ने मुखाग्नि दी । बाड़मेर  उनकी पार्थिव देह दिल्ली के रास्ते लाई गई थी।  उसके बाद आज उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।  शहीद की पत्नी रुक्मणी देवी ने कहा कि 16 साल हो गए शादी को वे अक्सर मोर्चों पर ही रहते थे ,जब भी छुट्टियों पर घर आते तो वापस जाने के दौरान मन भारी हो जाता था। कांगो मिशन में जाने से पहले भी 15 दिन के लिए घर आए थे, किसे पता था कि यह आखरी बार आए हैं। 

शहीद के पिता ने कहीं बड़ी बात
 सावल राम के पिता का कहना था कि गर्व है बेटे ने देश की सुरक्षा के लिए जान दी।  दोनों पोते भी  सेना में जाने के लिए तैयारी करेंगे ,जब इनका समय आएगा तो इन्हें भी सेना में ही भेजूंगा। 

कांगों उपद्रव में हुई शहादत, रविवार की देर रात पहुंचे शहीद 
 शहीद सावल राम बीएसएफ कि उस टुकड़ी में थे जिस टुकड़ी को भारत सरकार की तरफ से संयुक्त राष्ट्र मिशन में काम करने के लिए अफ्रीका के कांगो शहर में भेजा गया था।  कांगो शहर में उनके साथ ही सीकर के शिशुपाल भी थे। पिछले सप्ताह मंगलवार को कांगो में हुए उपद्रव के दौरान दोनों की शहादत हुई।  सावलाराम के परिजनों का कहना है कि 6 दिन तक पार्थिव देह नहीं आई । इन 6 दिनों में एक 1 मिनट पूरे साल की तरह बीता। देर रात जब पार्थिव देह बाड़मेर लाई गई तो हजारों लोगों ने जयकारों के साथ स्वागत किया । आज भी कई किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। शहीद सावल राम के पिता बोले देश के लिए जान देने वालों की संख्या बहुत है राजस्थान में, लेकिन देश की सुरक्षा में आंच नहीं आनी चाहिए। सावल राम की शादी 16 साल पहले हुई थी उनके दो बेटे हैं।  वे बीएसएस में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात है। 1999 में सेना में भर्ती हुए थे।

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