सार
राजस्थान में एक बार फिर पशुओं से प्रेम का अनोखा मामला सोमवार के दिन सामने आया है। यहां एक बंदर की मौत होने के बाद इंसानों जैसे शव यात्रा निकालकर अंतिम संस्कार किया गया। सोशल मीडिया पर राजस्थान के कल्चर की जमकर तारीफ कर रहे लोग।
भीलवाड़ा (bhilwara). करीब 2 महीने पहले राजस्थान के अलवर शहर से एक बंदर की मौत के बाद करीब 2 किलोमीटर लंबी उसकी शव यात्रा निकाली गई। जिसकी सोशल मीडिया पर खासी चर्चा रही। अब इसी तरह का एक और मामला भीलवाड़ा जिले से सामने आया है। भीलवाड़ा जिले में एक बंदर की मौत के बाद उसकी हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। उसकी शव यात्रा में शामिल होने के लिए लोगों ने अपने काम छोड़ दिए और गांव के नजदीक स्थित श्मशान में उसका अंतिम संस्कार किया। इस पूरे घटनाक्रम के वीडियो अब तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं और लोग राजस्थान के इस कल्चर की तारीफ कर रही हैं।
छलांग लगाते समय सड़क पर गिरा, गंवाई जान
दरअसल भीलवाड़ा शहर के नजदीक स्थित अराजिया ग्राम पंचायत के केशवपुरा गांव में रविवार दोपहर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाने के दौरान एक बंदर नीचे सड़क पर आ गिरा और गंभीर घायल हो गया। स्थानीय लोगों ने उसका इलाज करना चाहा लेकिन कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई । बंदर की मौत के बारे में गांव में चर्चा हुई तो लोगों ने उसका अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर ली।
पूरे विधि विधान से निकली अंतिम यात्रा
उसके शव को सफेद कफन पहनाया और उसके बाद बांस के एक पलंग पर उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई। गांव के बाहर ले जाकर श्मशान में पूरे विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार किया गया। शव यात्रा के दौरान बैंड बाजों में रामधुनी बजाई गई। लोगों का कहना था कि बंदर साक्षात हनुमान जी के अवतार हैं और हिंदू धर्म में पूजनीय है । ऐसे में बंदर की मौत के बाद उसे इस तरह से नहीं छोड़ा जा सकता था।
पहले भी सामने आ चुके है इस तरह के घटनाक्रम
इससे पहले अलवर में भी इसी तरह का घटनाक्रम सामने आया था। भीलवाड़ा में हुई इस घटनाक्रम के वीडियो और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। बात जयपुर शहर की करें तो जयपुर शहर के गलता गेट क्षेत्र में गलता की पहाड़ियों पर बंदरों की भरमार है। इन बंदरों को खाना खिलाने के लिए हर मंगलवार और शनिवार बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। वह अपने साथ फल और सब्जियां लेकर आते हैं। शहर से पकड़े गए सभी बंदर गलता की पहाड़ियों पर छोड़े जाते हैं। गलता की पहाड़ियों में भी करीब 8 महीने पहले दो बंदरों की मौत के बाद इसी तरह से रामधुनी गाकर उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
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