सार
राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इन चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बदला जा सकता है। वर्तमान में जो प्रदेश अध्यक्ष हैं सतीश पूनिया, उनका 3 साल का कार्यकाल नियमानुसार पूरा हो चुका है।
जयपुर. दिल्ली से लेकर राजस्थान तक एक ही सवाल घूम रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कांग्रेस का कौन होगा। 99% लोगों की जुबान पर एक ही नाम है और वह है अशोक गहलोत। हालांकि पूरी प्रक्रिया नामांकन, वोटिंग और परिणाम के आधार पर होगी और अशोक गहलोत के अलावा कुछ अन्य नेता भी इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं। लेकिन इस दौड़ को देखने के लिए टकटकी लगाए भारतीय जनता पार्टी के नेता बैठे हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से लगातार पार्टी के वरिष्ठ नेता इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं और इसी कारण भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी से संबंधित सभी फैसले फिलहाल होल्ड पर रख दिए हैं। इन फैसलों में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का फैसला भी है।
बदल सकती है प्रदेश अध्यक्ष
दरअसल, राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इन चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी बदला जा सकता है। वर्तमान में जो प्रदेश अध्यक्ष हैं सतीश पूनिया, उनका 3 साल का कार्यकाल नियमानुसार पूरा हो चुका है। फिलहाल वे समय को पूरा करने के बाद अतिरिक्त समय में अध्यक्ष बने हुए हैं। उनके बारे में फिलहाल पार्टी में कोई फैसला नहीं लिया है। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा इसकी अभी तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है ,हालांकि अंदर खाने कुछ नेताओं के नाम चल रहे हैं। साथ ही पार्टी में यह भी चर्चा चल रही है कि अगले चुनाव तक क्यों ना सतीश पूनिया को ही रिपीट कर दिया जाए? लेकिन कई बड़े नेता इससे संतुष्ट नहीं है। फिलहाल इस फैसले को होल्ड पर रखा गया है ।
संगठन में परिवर्तन
दूसरा फैसला जो भाजपा ने टाल रखा है वह है संगठन में परिवर्तन। बताया जा रहा है कि सतीश पूनिया के 3 साल पूरे होने के बाद संगठन में कुछ बदलाव और परिवर्तन करने की भी तैयारी है लेकिन उसे भी फिलहाल होल्ड पर रख दिया गया है। जब तक यह तय नहीं होगा कि राजस्थान में कांग्रेस का मुख्यमंत्री कौन बन रहा है तब तक भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन विस्तार को भी होल्ड पर रख दिया है।
कई मंत्री कर सकते हैं दौरा
तीसरा फैसला जो केंद्र की भाजपा ने टाला है वह है राजस्थान में कुछ बड़े नेताओं का दौरा कराना। इन नेताओं का दौरा कराने का मुख्य उद्देश्य यही है कि राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी में जो बड़ी फूट है उसे चुनाव से पहले समय रहते हुए काबू कर लिया जाए, ताकि आने वाले चुनाव में उन्हें परेशानी ना हो। गौरतलब है कि आने वाले 3 महीने में केंद्र से भाजपा के चार से पांच मंत्रियों के दौरे लग सकते हैं।
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