सार
राजस्थान में चूरू जिले की सरदारशहर विस उपचुनाव के नतीजे आए सामने। कांग्रेस की हुई जोरदार जीत 26 हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस के प्रत्याशी जीते। रालोपा के हनुमान बेनीवाल की पार्टी का हुआ यह हाल। कई बार चुनाव हार चुके प्रत्याशी को भाजपा ने दिया था फिर मौका।
चूरू ( churu). राजस्थान के चूरू शहर में हुए उपचुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल शर्मा भारी मतों से जीते हैं। उनकी जीत के साथ ही एक बार फिर से यह साबित हो गया है कि यह सीट कांग्रेस के पक्ष में ही रही है। पिछले दिनों चूरू के सरदारशहर से विधायक रहे भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद यहां उपचुनाव कराए गए थे। उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल कुमार शर्मा को टिकट दिया था और उन्होंने इस सीट पर 91 हजार 357 वोट अपने नाम किए।
भाजपा ने इनको फिर दिया टिकट, पहले भी कई बार हार चुके है
भंवर लाल शर्मा के सामने कई बार चुनाव हार चुके बीजेपी के अशोक पिंचा को इस बार फिर से भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया था। यह दावा किया जा रहा था कि अब यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल जाएगी और पिंचा इस सीट को भारतीय जनता पार्टी की झोली में डालेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अनिल शर्मा ने अशोक कुमार को 26 हजार 852 वोट से हरा दिया।
रालोपा कैंडिडेट को भी मिले 45 हजार से ज्यादा वोट
उपचुनाव में अशोक को 64 हजार 505 वोट मिले। उन्होंने अपनी हार के बाद फिलहाल किसी तरह का कोई बयान नहीं दिया है। वह पिछले 5 से 6 बार से लगातार इस सीट से चुनाव हार रहे हैं । उधर इस सीट पर करीब 46000 से ज्यादा वोट रालोपा के प्रत्याशी लालचंद मूंद ने अपने नाम किए हैं। रालोपा हनुमान बेनीवाल की पार्टी है और हनुमान बेनीवाल इससे सांसद भी हैं। उन्होंने अपने प्रत्याशी लालचंद के पक्ष में सरदार शहर की गलियों में कई रैलियां की और जनता से मुलाकात भी की। लेकिन जनता ने दोनों बड़ी पार्टियों के सामने रालोपा को नहीं चुना। हालांकि फिर भी वह तीसरी पार्टी बनने में सफल रहे।
इस सीट पर 5 दिसंबर को मतदान हुआ था। उसके बाद आज यहां पर मतगणना शुरू हुई थी। सवेरे 8:00 बजे से शुरू हुई मतगणना में पहले रुझान ही अनिल शर्मा के पक्ष में आना शुरू हो गए थे और उन्होंने बढ़त बनाना शुरू कर दिया था। यह बढ़त अंत तक कायम रही। इस सीट पर 72.35 परसेंट मतदान हुआ। विधायक बनने के लिए 10 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन अनिल शर्मा की जीत लगभग तय मानी जा रही थी।
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