सार
यह मंदिर राजस्थान का सबसे पुराना और अनोखा मंदिर है, जिसमें मां लक्ष्मी हाथियों पर सवार हैं। यह जयपुर का सबसे प्राचीन मंदिर है। इसे 1865 में जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के शासनकाल में बनाया गया था।
जयपुर (राजस्थान). आज पूरे देश में दिवाली (Diwali 2021) का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। दीपावली पर रात में मां लक्ष्मी (mahalaxmi poojan) की विधि-विधान से पूजा होती है। देश के तमाम मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजा दिया गया है। इसी मौके पर हम बताने जा रहे हैं राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक खास मंदिर के बारे में। जिसे छोटी काशी ( choti kashi) के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर राजस्थान (rajasthan) का सबसे पुराना और अनोखा मंदिर (historic mahalaxmi temple) है, जिसमें मां लक्ष्मी हाथियों पर सवार हैं। वैभव लक्ष्मी के नाम से यह प्रसिद्ध हैं, जो कि चार भुजाओं वाली हैं।
156 साल पुराना यह मंदिर
दरअसल, यह मंदिर गुलाबी शहर यानि जयपुर के सांगानेरी गेट के पास और अग्रवाल कॉलेज के सामने स्थित है। यह जयपुर का सबसे प्राचीन मंदिर है। जो कि 156 साल पुराना है। इसे 1865 में जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के शासनकाल में बनाया गया था। इसकी स्थापना पंचद्रविड़ श्रीमाली ब्राह्मण समाज द्वारा की गई थी। श्रीमाली ब्राह्मणों की कुलदेवी होने से यहां पूजन भी इसी समाज के ब्राह्मण करते हैं। जहां मां लक्ष्मी गज के बीच विराजित हैं।
दूर-दूर से मां के दर्शन करने आते हैं भक्त
बता दें कि इस ऐेतिहासिक मंदिर में दिवाली के दिन विशेष पूजा होती है। संतोष शर्मा यहां पूजन कराते हैं, वह करीब 22 साल से पूजा कर रहे हैं। उनका कहना है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के दर्शन करने के लिए सुबह से भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। जयपुर ही नहीं दूसरे राज्य और शहरों के लोग भी इस मौके पर दर्शन करने के लिए आते हैं।
दर्शन करने से पूरी होती हर मनोकामना
बताया जाता है कि इस मंदिर मां आकर मां लक्ष्मी की पूजन से कुवांरी लड़कियों की शादी जल्दी होती है। इतना ही नहीं उनके मनोकामना के हिसाब से उनका जीवनसाथी भी मिलता है। मंदरि के पुजारी संतोष शर्मा का कहना हैकि दिवाली के दिन जो मन से मां की पूजा करता है उसकी मनवांछित कामना पूरी होती है।