सार
देशभक्ति बड़ा बलिदान मांगती है। भरतपुर के सौरभ कटारा इसका ज्वलंत उदाहरण हैं। 22 वर्षीय सौरभ कुपवाड़ा में 23-24 दिसंबर की रात हुए ग्रेनेड हमले में शहीद हो गए थे।
भरतपुर, राजस्थान. अपनी शादी के सिर्फ 16 दिन बाद ही देश पर मर मिटने वाले 22 वर्षीय सौरभ कटारा के कई सपने थे। लेकिन इन सभी सपनों से पहले उसका एक ही जुनून था, देशभक्ति। सौरभ कटारा अपने भाई को डॉक्टर बनाना चाहते थे। सौरभ की मां अनिता को दिल की बीमारी है। शादी के सिर्फ 6 दिन बाद ही अपनी ड्यूटी पर जाते वक्त जब परिवार भावुक हुआ, तो सौरभ ने उन्हें देश के प्रति अपने दायित्वों का पाठ पढ़ाया। वहीं, अपने छोटे भाई अनूप कटारा से कहा था कि, एक दिन वो डॉक्टर बनकर मां का इलाज करेगा। अनूप बीकानेर में रहकर MBBS की पढ़ाई कर रहा है। अपने भाई की यह बात याद करके अनूप फूट-फूटकर रो पड़ा। हालांकि उसे गर्व है कि उसका भाई देश के लिए शहीद हुआ। बहारहाल, पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान जनसैलाब उमड़ पड़ा था।
हाथ की मेहंदी उतरी भी नहीं कि विधवा हुई पूनम...
28 राष्ट्रीय राइफल के जवान सौरभ की 8 दिसंबर को पूनम से शादी हुई थी। इसी दिन उसके बड़े भाई गौरव की पूजा से शादी हुई थी। इससे पहले 23 नवंबर को उसकी बहन दीपक की शादी भी हुई थी। दीपक तीनों भाइयों की इकलौती बहन है। यानी पूरे परिवार में खुशियां छाई हुई थीं। इसी बीच 14 दिसंबर को सौरभ को वापस ड्यूटी पर लौटना पड़ा। सौरभ भरतपुर जिले के बारौली ब्राह्मण गांव का रहने वाला था। पूनम इतना अच्छा परिवार पाकर खुश थी। वो फोन पर लगातार सौरभ से बात करती रही। अचानक खबर मिली कि सौरभ शहीद हो गया। सबसे दुखद बात यह कि 25 दिसंबर को सौरभ का जन्मदिन था। यानी जन्मदिन के एक दिन पहले वो दुनिया से विदा हो गया। वहीं, जन्मदिन पर परिवार को उसके शहीद होने की खबर मिली।
कारगिल युद्ध लड़ चुके हैं पिता
शहीद के पिता भी नरेश कटारा भी 2002 में आर्मी से रिटायर हुए हैं। वे 1999 में कारगिल युद्ध लड़ चुके हैं। शहीद का बड़ा भाई गौरव किसान है। परिजनों ने बताया कि सौरभ 20 नवंबर को अपने गांव आए थे। इस दौरान बहन की शादी हुई और फिर उसकी खुद। MBBS कर रहे छोटे भाई अनूप ने कहा कि उसे अपने भाई पर गर्व है। अब मैं भी आर्मी में जाना चाहूंगा।