सार

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की फूट। नेताओं के एक दूसरे पर दिए जा रहे बयान के बाद पार्टी के एक बड़े नेता यह देखने के लिए आ रहे है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सुरक्षित रूप से प्रदेश में पूरी हो पाएगी की नहीं। वे सभी परिस्थितियों पर नजर रखने आ रहे है।

जयपुर (jaipur). सीधे शब्दों में बात करें तो..... राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की एंट्री से पहले पार्टी नेताओं के बयानों के चलते रायता और ज्यादा फैलता जा रहा हैं। कोई किसी को गद्दार बता रहा है। कोई कह रहा है अपने शब्दों पर ध्यान दें तो कोई तो सीधे सीधे ही धमका रहा है कि यात्रा को यहां से गुजरने नहीं देंगे। इस बयानबाजी और असमंजस  के हालात के बीच अब भारत जोड़ो यात्रा का रुट और राजस्थान में हो सकने वाली संभावनाओं और असंभावनाओं कां जांचन के लिए कांग्रेस सरकार के एक बड़े नेता को राजस्थान आना पड़ रहा हैं बताया जा रहा है कि वे अगले सप्ताह की शुरुआत में ही राजस्थान आ जाएंगें। पार्टी नेताओं के साथ उस रुट की जांच करेंगे जिस रुट से भारत जोड़ो यात्रा निकाली जाएगी। राहुल गांधी खुद इस नेता को राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा से पहले भेज रहे हैं......। 

कांग्रेस पार्टी के आंतिरक विवाद के चलते आ रहे के सी वेणुगोपाल
दरअसल राजस्थान में अचानक फिर से नेताओं ने बिना सोचे समझे जुबान खोलना शुरु कर दिया है। गढ़े मुर्दे उखाड़कर बाहर लाने लगे हैं। फूट जमकर सामने आने लगी है। माहौल ऐसा हो गया है कि मानों सबको भारत जोड़ो यात्रा से पहले ही अपने सारे पुराने काम निपटाने हों....। इन सभी विवादों के बीच अब के सी वेणुगोपाल अगले सप्ताह राजस्थान आ रहे हैं। सभी तरह के विवादों को निपटाने और ये सब देखने के लिए यात्रा का रूट सही है या नहीं। चर्चा यहां तक कि वेणुगोपाल को अगर रुट सही नहीं लगा तो वे यात्रा का रुट तक बदल सकते हैं। इसलिए उन्हें भेजा जा रहा हैं। इसे लेकर अब पार्टी के दिग्गज नेताओं ने भी तैयारी शुरु कर दी है। वेणुगोपाल से पहले ये काम अजय माकन करते रहे हैं, लेकिन अब वे अपना इस्तीफा आलाकमान को सौंप चुके हैं और वे राजस्थान प्रभारी के पद से मुक्त होना चाहते हैं। 

पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के बाद दो पर्यवेक्षक आने वाले थे राजस्थान 
पिछले दिनों जब गहलोत और पायलेट गुट में विवाद हुआ था। दिल्ली से आए पर्यवेक्षकों को बैरग लौटना पड गया था। बाद में दिल्ली दरबार में हाजिरी भी लगानी पडी थी नेताओं को। अध्यक्ष खरगे को चुन लिया गया था। उसके बाद यह तय हुआ था कि जल्द ही दो पर्यवेक्षक फिर से राजस्थान आएंगे विधायक दल की बैठक लेने और सभी तरह के विवाद निपटाने। लेकिन फिर गुजरात और हिमालच चुनाव आ गए। अब वेणुगोपाल का यह दौरा अहम माना जा रहा है। संभावना है कि वेणुगोपाल के इस दौरे के बाद अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं की बैंड बज सकती है।

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