सार

राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में होने हैं लेकिन बीजेपी अभी से एक्टिव हो गई है। अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर मरवाड़ क्षेत्र में पहुंचे हैं। जोधपुर में अमित शाह ओबीसी वोटर को साधने के लिए मीटिंग करेंगे। उन्होंने तनोट माता के दर्शन भी किए। 

जैसलमेर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में होने हैं लेकिन बीजेपी अभी से एक्टिव हो गई है। चुनावों को देखते हुए दोनों ही पार्टियों (बीजेपी-कांग्रेस) ने अपने अपने हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं। गृहमंत्री अमित शाह दो दिनों के राजस्थान दौरे पर हैं। माना जा रहा है कि शाह अपने इस दौरे में राजस्थान के ओबीसी वोट बैंक साधने के लिए रणनीति पर चर्चा करेंगे। शाह दो दिनों तक मारवाड़ क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग करेंगे। इस दौरान वो यहां पार्टी के कई सीनियर लीडर से मुलाकात कर सियासत की नब्ज टटोलेंगे। 

सुबह तनोट माता के किए दर्शन, अब जोधपुर होंगे रवाना
गृहमंत्री अमित शाह देर रात्रि बीएसएफ हेड क्वार्टर पहुंच गए थे। उसके बाद वह शनिवार सुबह भारत-पाक बॉर्डर पर स्थिति तनोट माता मंदिर के दर्शन करने के लिए पहुंचे। यहां उन्होंने बीएसएफ की टोपी पहनकर मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद अमित शाह करीब 18 करोड रुपए के विकास कार्यों का शिलान्यास किया। शाह साम को जोधपुर पहुंचेंगे और कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। 

जोधपुर में बूथ अध्यक्ष तक करेंगे सीधी बात
चुनावों में भाजपा की ओर से कोई कमी नहीं रह पाए ऐसे में इस बार गृहमंत्री खुद जोधपुर में बूथ अध्यक्षों से सीधा संवाद करेगें। साथ ही बताया जा रहा है कि अमित शाह जोधपुर में कार्यकर्ताओं का गोपनीय सर्वे भी करेंगे। जिससे कि पार्टी की आंतरिक खींचतान का भी पता चल सके। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो मारवाड़ को सबसे पहले इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां का ओबीसी वर्ग पूरा एकजुट है। जबकि शेखावाटी हाडोती में परिस्थितियां अलग हैं। यहां ओबीसी वर्ग बंटा हुआ है। 

सीएम पद का चेहरा अभी तय नहीं
गृह मंत्री अमित शाह भले ही जोधपुर में पार्टी को चार चांद लगाने का काम कर रहे हो। लेकिन राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के हालात यह है कि यहां अभी तक यह फिक्स नहीं किया गया है कि चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का दावेदार किसे चुना जाएगा। क्योंकि यहां मुख्यमंत्री बनने के लिए पार्टी में ही चार अलग-अलग गुट हुए हैं। गृह मंत्री के कार्यक्रम के मौके पर भी यह ग्रुप एकजुट होने के बजाय अलग -अलग ही हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि इसका मैसेज पार्टी के आलाकमान के पास क्या जाएगा।

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