सार
राजस्थान के झुंझुनूं जिले से एक महिला देश की लाखों महिला के लिए प्रेरणा बन गई है। उसने 12वीं कक्षा के बाद ही शादी होने पर भी खुद को साबित करने का जुनून मन में पाले रखा। पहले बीएससी व बीएड कर एमए की पढ़ाई की। फिर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए स्कूल शिक्षक से लेकर कॉलेज व्याख्याता तक की तीन सरकारी नौकरी हासिल की।
झुंझुनूं (राजस्थान). यदि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कामयाबी खुद कदम चूमती है। सफलता का ये मंत्र झुंझुनूं जिले की झाझड़ गांव निवासी सुभिता ढिल्लन का है। जिन्होंने 12वीं कक्षा के बाद ही शादी होने पर भी खुद को साबित करने का जुनून मन में पाले रखा। पहले बीएससी व बीएड कर एमए की पढ़ाई की। फिर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए स्कूल शिक्षक से लेकर कॉलेज व्याख्याता तक की तीन सरकारी नौकरी हासिल की। जिसमें भी स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा तो गर्भ में दो बच्चों को पालते हुए पहली रैंक से पास की। सुभिता की सफलता पर अब पूरा झुंझुनूं जिला नाज कर रहा है।
एक के बाद हासिल की तीन नौकरी, एक में पहली रैंक
सुभिता ढिल्लन की 12वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान राजेश ढिल्लन से शादी हुई। जो सीकर में प्रिंस स्कूल के निदेशक हैं। शादी के बाद सुभिता ने सीकर में ही पढ़ाई जारी रखी। बीएससी व बीएड करते ही 2013 में तृतीय श्रेणी शिक्षक भती की परीक्षा दी। जिसमें पहले प्रयास में सफलता मिलने पर पालवास गांव के राजकीय स्कूल में नियुक्ति हासिल की। इसके बाद 2018 की स्कूल शिक्षा प्रथम श्रेणी व्याख्याता भर्ती में इतिहास विषय में पहली रैंक हासिल कर सफलता का परचम लहराया। अब हाल में कॉलेज व्याख्याता भर्ती परीक्षा में छठी रैंक हासिल कर प्रतिभा ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
आठ बार पास कर चुकी है नेट परीक्षा, बहनें बनी प्रेरणा
सुभिता नेट की परीक्षा भी आठ बार पास कर चुकी है। जो भी इतिहास विषय में पास की गई है। बकौल सुभिता तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्ति के समय ही उनकी दो बहन कौशल्या व संजू ढाका का एमबीबीएस के लिए चयन हो गया। ऐसे में उनमें भी कुछ बड़ा करने का जज्बा पैदा हुआ। इसके बाद उन्होंने लगातार पढ़ाई जारी रखी और एक के बाद एक सफलताएं हासिल करती रही।
पति की अहम भूमिका
सुभिता अपनी सफलता का श्रेय खुद की मेहनत व जुनून के अलावा पति राजेश ढिल्लन के सहयोग तथा पीसीपी के निदेशक व चेयरमेन जोगेन्द्र व पियूष सुण्डा के मार्गदर्शन को देती है। बकौल सुभिता इन सभी ने हर परिस्थिति में उनका हौंसला बढ़ाया। स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा के दौरान तो जब गर्भ में दो जुड़वा बच्चे थे तो पति राजेश ने पूरे पारिवारिक काम संभालते हुए उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित रखा।
खुद पर भरोसा व मेहनत सफलता का मंत्र
सुभिता सफलता का फलसफा मेहनत व खुद पर भरोसे की बताती है। वह कहती है कि यदि आत्मविश्वास के साथ मेहनत की जाए तो कोई भी व्यक्ति सफलता हासिल कर सकता है। वह कहती है कि हर परीक्षार्थी को अपना लक्ष्य तय कर पढ़ाई करनी चाहिए और परीक्षा में प्रश्नों को शांत मन से हल करना चाहिए।
ग्रामीण परिवेश में रची बसी है सुभिता
शादी के बाद पढ़ाई जारी रखने वाली सुभिता ग्रामीण परिवेश में रची बसी है। सीकर से जब भी अपने पीहर गांव मोहनबाड़ी या गांव झाझड़ आने पर सुभिता को अक्सर खेतों में काम करते देखा जा सकता है। इसके अलावा कच्चे चूल्हे पर खाना पकाना या गाय-भैंस को दूहने जैसे काम भी सहज कर लेती हैं।