सार
कोरोना वायरस की तरह पूरी दुनिया मंकीपॉक्स तेजी से फैल रहा है। लेकिन इस बीच राजस्थान की राजधानी जयपुर से बंदरों में एक रहस्यमय बीमारी फैल रही है। जिसके चलते उनके हाथ और पैर धीरे धीरे पत्थर के बनते जा रहे हैं।
जयपुर. देश, दुनिया में मंकी पॉक्स वायरस के बारे में तो आप पढ़ और सुन ही रहे होंगे। लेकिन इस बीच राजस्थान की राजधानी जयपुर से बंदरों में एक रहस्यमय बीमारी फैल रही है। इस बीमारी में उनके हाथ और पैर धीरे धीरे पत्थर के बनते जा रहे हैं। बंदरों के इस तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अब पशुओं का इलाज करने वाले सरकारी और निजी डॉक्टर एवं उनका स्टाफ बंदरों को तलाश तलाश कर उनका इलाज करने में जुट गया है। लेकिन सबसे बड़ी परेशानी है बंदरों को पकडना और उनके इंजेक्शन लगाना, दवाई देना। इसी काम के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद ली जा रही है।
खाने पीने की एलर्जी के कारण हो रहा ऐसा, फास्ट फूड और मीठा खा रहे बंदर
पशुओं का उपचार करने वाले निजी और सरकारी चिकित्सकों का कहना है कि इस बीमारी को हाईपरकेराटॉसिस एलर्जी कहा जाता है। पशुओं में खासतौर पर बंदरों में यह देखने को मिलती है। बीमारी सक्रमण करती है और तेजी से फैलती भी है। गलता और गलता की पहाडियों पर रहने वाले काले मुंह के बहुत से बंदरों में यह बीमारी फैल रही है। इसमें हाथों और पैरों में गांठे बन जाती है जो पत्थर की तरह सख्त होती हैं। चलने फिरने में बहुत समस्या होती है। मीटा या फास्ट फूड या मसाले खाने से ऐसा होता है। इसके इलाज के स्प्रे और इंजेक्शन दिए जाते हैं।
यहां के बंदर अलग खाने के शौकीन, पेट भरने आते हैं हर दिन सैंकड़ों लोग
जयपुर शहर की कॉलोनियों और कस्बों में बंदरों की भरमार है। काले और लाल मुंह वाले बंदरों से बचने के लिए लोगों ने घरों को जालियों तक से पैक कर रखा है। इस बीच जयपुर के गलता तीर्थ और आसपास की पहाड़ियों में बंदरों के बड़े समूह हैं। शहर भर से बंदर पकडने के बाद यहीं छोड़े जाते हैं। हांलाकि कुछ समय से बंदर पकडने के ठेके नहीं हुए हैं। गलता तीर्थ और पहाड़ियों में घुमने फिरने के लिए सवेरे और शाम सैंकड़ों लोग आते हैं। ये बंदर इन लोगों से इतने दोस्ताना हो गए हैं कि फल, सब्जी, फास्ट फूड यहां तक कि मसालेदार वस्तुएं, सब खा लेते हैं।