सार

करौली और जोधपुर से सबक लेते हूए पुलिस ने भीलवाड़ा में हालातों से निपटने की तैयारी पहले से ही कर ली थी। और तीनों ही मामलों में तुरंत एक्शन लेते हुए माहौल शांत बनाएं रखा।
 

भीलवाड़ा. करौली और जोधपुर में ही हुई घटनाओं से राजस्थान एक महीने से दंगों की आग में झुलस रहा है। उसके बाद अब भीलवाड़ा में जो हालात बन रहे थे लगता है दंगाइयों का अगला टारगेट वहीं है। भीलवाड़ा में पिछले 8 दिन में तीन हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं। दो बार पुलिस को इंटरनेट बंद कराना पड़ा। इन तीनों घटनाओं पर गौर किया जाये तो समझ आता है कि करौली, जोधपुर की तरह ही भीलवाड़ा में भी दंगे भड़काने के लिए पूरी प्लानिंग की गई थी। ये कोई इत्तेफाक नहीं है कि 8 दिन में 3 बार हिंसा भड़की। तीनों मामलों में दंगे भड़काने की साजिश थी, लेकिन इस बार पिछली दो गलतियों से सबक लेते हुए पुलिस ज्यादा सतर्क थी।
ये है वो तीन मामले
पहला मामला: समुदाय विशेष युवकों से मारपीट कर
भीलवाड़ा के सांगानेर में 4 मई की रात को कर्बला के पास बैठे समुदाय विशेष के दो युवकों पर नौ लोगों ने अचानक उनपर हमला कर दिया। दोनों से जमकर मारपीट की और साथ ही उनकी बाइक भी जला दी। लहुलुहान में हालत में दोनों युवकों को अस्पताल में एडमिट कराया गया था। पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हूए मामले की जांच कर 1 युवक को पकड़ा। उससे पूछताछ में पता चला कि वह सोशल मीडिया में मैसेज देखकर समुदाय विशेष के युवकों को मारपीट कर दंगा भड़काना चाहते थे। पुलिस ने इस कार्यवाही को इतनी तेजी से एक्शन लिया की मामला तूल पकड़ने से पहले ही शांत हो गया।
दूसरी घटना: छोटी सी बात पर की युवक के भाई की हत्या
भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर में 10 मई को हनी तापड़िया नाम का युवक मां के लिए ज्यूस लेकर जा रहा था। तभी कुछ युवकों ने उसे धमकाने की कोशिश की। यहीं बात हनी ने बड़े भाई आदर्श को बताई। आदर्श गली में गया और उन युवकों को समझाया जिससे मामला शांत हो गया। फिर रात को 11 बजे आदर्श जा रहा था। तभी कुछ युवकों ने उसे घेर लिया। मृतक ने अपने दूसरे भाई मयंक को  बुलाया। तब तक मयंक के सामने ही आरोपी युवकों ने आदर्श के सीने में चाकू मार दिया, जिससे उसकी स्पॉट में ही मौत हो गई। पुलिस ने इस मामलें में तुरंत एक्शन लेते हुए हत्या करने वाले चारों को पकड़ लिया। मर्डर करने वाले सभी युवक नाबालिग थे। इस घटना के बाद संगठनों ने मुआवजे व आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को  लेकर इलाका बंद करने की कोशिश की। पुलिस ने अफवाहें रोकने के लिए और मामले को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सर्विस को पूरी तरह से बैन कर दिया।

तीसरी वारदात में परीक्षा देकर लौट रहे चार छात्रों किया जान लेवा हमला
तीसरी वारदात सुभाष नगर स्कूल के बाहर हुई जहां 11 मई की दोपहर चार छात्र स्कूल से परीक्षा देकर लौट रहे थे। स्कूल के कुछ अन्य छात्रों ने ही पवन सिंह, युवराज सिंह, विक्रम सिंह, श्रवण सिंह को रोक कर मारपीट की। फिर चाकू से उन सभी पर हमला कर दिया। इस हमले से चारों छात्र घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में ही भर्ती करवाया गया। इंटरनेट पहले से बंद था और पुलिस भी जगह-जगह तैनात थी। पुलिस ने मामले की गंभीरता लेते हुए संदिग्धों पकड़ लिया। इस घटना पर पथराव या दंगे जैसी स्थिति न हो पुलिस ने छतों पर भी जब्ता तैनात कर दिया।

पुलिस ने उठाए सख्त कदम
भीलवाड़ा में जो भी घटनाएं उन्हे पुलिस ने लाईटली नहीं लिया और करौली और जोधपुर के मामले  से सबक लेते हुए पहले से ही कड़े इंतजाम कर लिए थे। हिंसा भड़कते ही पुलिस एक्शन में आ गई और संदिग्ध इलाकों को सील कर दिया। इंटरनेट को बंद कर दिया। जगह-जगह जाब्ता तैनात कर दिया। यही वजह रही कि 8 दिन में 3 दिन बार हिंसा भड़कने के बावजूद हालात करौली और जोधपुर की तरह नहीं बिगड़े। पुलिस ने ये जरूरी कदम उठाएं जिससे माहौल शांत बना रहा।

पहला कदम पुलिस ने भीलवाड़ा में जोधपुर की तरह एक जगह से माहौल कंट्रोल करने की कोशिश नहीं की। उनकी इस कोशिश से माहौल बिगड़ा और दंगाई भीतरी शहर में पहुंच गए। पुलिस ने  भीलवाड़ा में ये गलती नहीं की और एक- एक गली पर नजर रखी।

दूसरा कदम घर की छतों पर जब्ता तैनात: करौली मामले में हिंदु नववर्ष की रैली से पहले सेंसेटिव एरिया होने के बावजूद पुलिस ने छतों का ड्रोन सर्वे नहीं कराया, जबकि दंगाइयों ने वहीं पत्थर जमा कर रखे थे। इससे सबक लेते हुए भीलवाड़ा में पुलिस ने छतों पर भी जाब्ता तैनात किया जिससे की ऐसी कोई घटना नहीं हुई।

नाईट कर्फ्यू लगाना: जोधपुर में ईद-आखातीज से पहले रात को झंडा लगाने को लेकर विवाद शुरू हुआ। पुलिस ने इसे मामूली घटना समझा और रात को एक्शन नहीं लिया, इस वजह से सुबह होते होते स्थिति पुलिस के कंट्रोल से बाहर हो गई। भीलवाड़ा में पुलिस ने ऐसी कोई गलती नहीं की और भीलवाड़ा में नाईट गश्ती बढ़ा दी।

चौथा इंस्टेंट एक्शन : करौली और जोधपुर दोनों ही जगह पुलिस मामले की गंभीरता को नहीं समझ पाई और देरी से एक्शन लिया। इस वजह से दंगों की आग विकराल हो गई। इसके उलट भीलवाड़ा में पुलिस ने सारे मामलों को गंभीरता से लिया। और तुरंत एक्शन लेते हुए मौके पर पुलिस बल तैनात कर दिया। और सिचुएशन पर कंट्रोल किया।