सार
अलवर में मंदिर विवाद थमा भी नहीं था कि जिला फिर एक बार सुर्खियों में आ गया है।जिला कलेक्टर को 5लाख की रिश्वत लेते पकड़ा गया है।जांच में सामने आ रहा है कि विवादों से पुराना नाता है इनका
जयपुर. राजस्थान का अलवर जिला इन दिनों मंदिर तोड़ने के कारण सुर्खियों में है। मंदिर विवाद को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं। इसी बीच अलवर के कलेक्टर को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है। अलवर से 3 दिन पहले रिलीव होने वाले कलेक्टर नन्नू मल पहाड़िया द्वारा रिश्वत लेने का मामला सामने आया है। कलेक्टर नन्नू मल पहाड़िया, आरएएस अशोक सांखला और दलाल नितिन को पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया है। इन तीनों के खिलाफ एसीबी ने अलग-अलग जगहों में कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार किया है। अब इन तीनों के घरों की तलाशी ली जा रही है।
16 लाख रुपए की थी मांग
आईएएस पहाड़ी ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी से 16 लाख रुपए की रिश्वत मांग की थी और उसमें से 5 लाख रुपए के लेन देन किया जा रहा था। कंपनी के पदाधिकारियों ने बताया कि दलाल के जरिए अफसर हर महीने मंथली (रिश्वत) भी मांग रहे थे ताकि कंपनी से जुड़े हुए जो भी सरकारी कार्य हो उसे सही समय पर और बिना किसी रोक-टोक के पूरे किए जा सके । जेसीबी के डीजी बी एल सोनी ने एसीबी को जानकारी देते हुए बताया कि हमारी कंस्ट्रक्शन कंपनी से आईएएस नन्नू मल पहाड़ी जिलें के कलेक्टर और आरएएस(Rajasthan Administrative Service) अशोक सांखला सेटलमेंट में रेवेन्यू अधिकारी हैं और इन दोनों के लिए काम करने वाला नितिन ये तीनों मिलकर 4 महीने से 16 लाख रुपए मांग कर रहे थे और रिश्वत जल्दी से जल्दी देने के लिए लगातार कंस्ट्रक्शन कंपनी पर दबाव बना रहे थे।
दलाल को ट्रेप कर पकड़ा कलेक्टर
शनिवार सुबह दलाल जब आरएएस के घर 5 लाख लेकर पहुंचा तो सांखला ने यह रुपये पहाड़िया को देने के लिए नितिन को दे दिए। नितिन यह रुपए लेकर जब कलेक्टर के घर पहुंचा तो
एसीबी ने उन्हें ट्रेप कर लिया । तीनों को पकड़ लिया गया है । एसीबी द्वारा पहाड़िया की महेश नगर स्थित मकान में भी तलाश की जा रही है।
बता दे कि पिछले दिनों ही एसीबी ने जयपुर से बायोफ्यूल अथॉरिटी के ऑफिसर को 500000 रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था उसने खुद को एक हजार करोड़ रुपए का आसामी बताया था।
फिलहाल वह जेल में है और उसके साथ कुछ अन्य लोगों के नाम सामने आए थे।
ट्रांसफर लिस्ट में शामिल था नाम
राजस्थान सरकार ने एक साथ 69 आईएएस अफसरों को इधर से उधर किया था। इस लिस्ट में पहाड़िया का भी नाम शामिल था। आईएएस पहाड़िया का 13 अप्रैल की रात को तबादला कर दिया गया था । पहाड़िया को विभागीय जांच विभाग के आयुक्त यानी कमिश्नर बनाया गया था। 3 दिन पहले ही वे अलवर के कलेक्टर पद से रिलीव हुए थे और उसके बाद जल्द ही कमिश्नर की कुर्सी संभालने वाले थे । लेकिन इससे पहले पहाड़िया का ईमान डोल गया और वे भ्रष्टाचार की दलदल में फंस कर एसीबी के जाल में फंस गए। राजस्थान में आईएएस अफसरों के ट्रैप होने के मामले में यह बड़ा नाम है ।
99दिन बाद होना था रिटायरमेंट
नन्नूमल पहाड़िया का 99दिन बाद रिटायरमेंट होना था पर रिटायरमेंट के पहले ही वो रिश्वत लेते हुए पकड़े गए।तात्कालिन कलेक्टर होते हुए भी कलेक्टर के घर रिश्वत लेते हुए उन्हे एसीबी की टीम ने रंगे हाथों अरेस्ट किया।
पहले भी विवादों में रह चुका है नाम
बता दे कि पहाड़िया पहले भी कई बार विवादों में रह चुके हैं। पी एच ई डी में भी बड़े पदों पर रहे थे। सवाई माधोपुर और करौली में कार्यरत रहते हुए कई बार उनकी शिकायतें सरकार तक पहुंची थी। तब भी उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया था। अब उनके ही विभाग में यह चर्चा जोरों से है कि जिस कमिश्नर को राज्य के सभी सरकारी विभागों में होने वाली इंटरनल इंसपेक्शन के लिए कमिश्नर नियुक्त किया गया था अब उसकी जांच कौन करेगा । चर्चा यह भी है कि एसीबी के अलावा सरकार भी अपने सीनियर आईएएस अफसरों से पहाड़िया के मामले की जांच करा सकती है ।
बता दे कि पहाड़िया के ट्रैप होने के बाद राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में हलचल मची हुई है कई सीनियर अफसरों के फोन नॉट रिचेबल हो गए हैं। वहीं इस पूरे मामले को लेकर सरकार की नजर लगातार बनी हुई है।