सार
राजस्थान (Rajasthan) के झुंझुनूं (Jhunjhunu) जिले के एक गांव में रहने वाले किसान के बेटा ने संघर्ष से बड़ा मुकाम हासिल किया है।मलसीसर गांव (Malsisar village) के सौरभ कुल्हरी (Saurabh Kulhari) को अमेजन कंपनी (Amazon Company) के लंदन ऑफिस (London office) में 1.06 करोड़ का सालाना पैकेज (Annual Package of 1.06 Crores) मिला है।
सीकर। राजस्थान (Rajasthan) के झुंझुनूं (Jhunjhunu) जिले के एक गांव में रहने वाले किसान के बेटा ने संघर्ष से बड़ा मुकाम हासिल किया है। मां-बाप ने खेती की और बच्चे को अच्छे संस्थानों में शिक्षा दिलवाई। बेटे ने भी पढ़ाई में जीतोड़ मेहनत की और मां-बाप के सपनों को पूरा करने की ठान ली। कुछ ही साल में घरवालों को वो रिजल्ट भी दे दिया, जो आज के हर युवा के लिए एक ड्रीम बना है। जी हां, मलसीसर गांव (Malsisar village) के सौरभ कुल्हरी (Saurabh Kulhari) को अमेजन कंपनी (Amazon Company) के लंदन ऑफिस (London office) में 1.06 करोड़ का सालाना पैकेज (Annual Package of 1.06 Crores) मिला है। सौरभ अमेजन में सॉफ्टवेयर डेवलपर का काम देखेंगे। उनके मम्मी-पापा खेती का काम करते हैं। सौरभ को अमेजन में इंटरव्यू (Interview in Amazon) से पहले डेंगू (Dengue Positive) हो गया था। थकावट और कमजोरी हुई, लेकिन उन्होंने इसे शरीर पर हावी नहीं होने दिया और इंटरव्यू देकर सफलता हासिल की। पढ़िए इस सफलता की शानदार कहानी...
सौरभ बोले- आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, मम्मी-पापा ने सपने को जीना सिखाया
‘मैंने शुरुआती पढ़ाई अपने गांव मलसीसर में पूरी की। मां चंद्रकला देवी और पिता राजेश कुल्हरी गांव में खेती का काम करते हैं। पूरा परिवार भी गांव में रहता है। परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी। इसके बावजूद मम्मी-पापा ने अच्छी एजुकेशन के लिए झुंझुनूं के एक स्कूल में एडमिशन दिलाया। उन्होंने दिन-रात मेहनत कर मुझे पढ़ाया और हौसला बढ़ाया। मैंने जब 10वीं की परीक्षा पास की तो एक दिन सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो, मम्मी-पापा के सपनों को पूरा करके दिखाएंगे।’
पापा को ऐसे आया आईआईटी करवाने का आइडिया...
‘मैं झुंझुनूं में 10वीं में पढ़ता था, उसी समय बुआ की दो बेटियां सीकर में आईआईटी और नीट की तैयारियां करने गईं। मम्मी-पापा ने भी आईआईटी के बारे में जानकारी ली और मुझे भी आईआईटी करवाने का निर्णय लिया। 10वीं पास करने के बाद मुझे भी आईआईटी के लिए सीकर भेज दिया। वहां मेरे साथ मेरी दादी मनकोरी देवी भी रहीं। वे दो साल तक मेरे और खुद के सारे काम समय पर पूरे करती थीं। दादी में कभी आलस नहीं देखा। ऐसा कभी नहीं लगा कि वो बुजुर्ग हैं। ऐसे में मुझे दादी से प्रेरणा मिली और समय पर जागने, पढ़ाई करने में मदद मिली। पढ़ाई में भी पूरा ध्यान रहा और मेरा चयन आईआईटी कानपुर में हो गया। फिलहाल, अब आईआईटी में मेरा ये आखिरी साल है।’
घर में दादा से सबसे ज्यादा लगावा था
‘परिवार में मुझे सबसे ज्यादा लगाव अपने दादा सांवलराम कुल्हरी से था। करीब 3 साल पहले बीमारी से उनका निधन हो गया। ऐसे में मेरी पढ़ाई पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ा। मैं कुछ दिनों बाद अपने ननिहाल गया। जहां मेरे नाना शिवनारायण कासवान ने करीब 1 महीने तक अपने पास रखा। उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया। आगे बढ़ने को प्रेरित किया। मेरी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया। इसके बाद वापस मैंने गांव आकर पढ़ाई करना शुरू कर दी।’
अमेजन में इंटरव्यू से पहले हुआ डेंगू
‘अमेजन में इंटरव्यू से पहले 8 नवंबर को मैं डेंगू पॉजिटिव आया। डॉक्टर ने मुझे फुल रेस्ट करने की सलाह दी। करीब 20 दिन तक बेड रेस्ट किया। डेंगू की वजह से प्लेटलेट्स भी 64 हजार तक पहुंच गईं। 28 नवंबर की शाम अमेजन कंपनी से इंटरव्यू का मेल आया। इंटरव्यू 2 दिसंबर को होना था। पूरे आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू दिया। कंपनी से 1 करोड़ का ऑफर मिला और मैंने हामी भर दी।’
अगले साल अमेजन जॉइन कर लूंगा
अभी मैं आईआईटी कानपुर में आखिरी साल है। पढ़ाई पूरी कर रहा हूं। अगले साल पढ़ाई पूरी होने के बाद अमेजन में नौकरी जॉइन करूंगा। इससे पहले भी एपीटी पोर्टफोलियो कंपनी में 50 लाख का पैकेज मिला था।