सार
राजस्थान की झीलों की नगरी उदयपुर में 13 मई से शुरू हुए कांग्रेस चिंतन शिविर का आज अंतिम दिन है। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया जा रहा कि आज कई बड़े फैसले हो सकते हैं। इसी बीच खबर सामने आई है कि प्रदेश के के बीजेपी नेताओं ने चुपचाप दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की है।
जयपुर. राजस्थान के उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर का आज तीसरा और आखिरी दिन है। लगातार दो दिन से राजस्थान के भाजपा नेता इस शिविर पर नजर बनाए हुए हैं और शिविर पर होने वाले सेशन के बीच अपने बयान भी जारी कर रहे हैं । लेकिन इन सबके बीच भाजपा का एक शीर्ष नेता चुपचाप दिल्ली पहुंचा और उसने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की है। इसकी जानकारी जब जयपुर राजस्थान तक पहुंची तो मानो हड़कंप सा मच गया।
इस सियासी मुलाकात के कई गहरे मायने निकाले जा रहे
भाजपा के ही प्रतिद्वंदी नेताओं के खेमों में हलचल बढ़ गई। मोदी और इन नेता के बीच काफी देर मुलाकात हुई और भविष्य में होने वाले चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई । हालांकि क्या चर्चाएं हुई नेता ने फिलहाल यह स्पष्ट नहीं किया है। हम बात कर रहे हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की । उनकी कल दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई है । इस सियासी मुलाकात के कई गहरे मायने निकाले जा रहे हैं । इस मुलाकात के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का खेमा सक्रिय हो गया है।
पूनिया को मिल सकती है राजस्थान में और बड़ी जिम्मेदारी
पूनिया और नरेंद्र मोदी के बीच में होने वाली मुलाकातों के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि अगर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों तक सतीश पूनिया भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह जाते हैं । तो टिकट वितरण में भी उनकी बड़ी भूमिका सामने आएगी । ऐसे में वह खेमा असंतुष्ट रहेगा जो हर बार टिकट में अपनी भागीदारी रखता है। ऐसे में राजस्थान में वसुंधरा राजे का विकल्प भी तलाशा जा सकता है।
पुनिया ने कहा ऐसी बात नहीं संगठन के बारे में बातचीत थी
उधर दिल्ली से लौटकर सतीश पूनिया ने बताया कि वे नरेंद्र मोदी से मिले और भाजपा संगठन को और ज्यादा मजबूत करने के बारे में चर्चा हुई । कई दिग्गज नेताओं के बारे में बातचीत हुई और आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ज्यादा से ज्यादा सीटें लाने को लेकर भी बातचीत की गई । सतीश पूनिया का दिल्ली दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आने वाले कुछ दिनों में कांग्रेस की तरह ही भाजपा के शीर्षस्थ नेता भी जयपुर आ सकते हैं और वह भी इसी तरीके का शिविर आयोजित कर सकते हैं।