सार

चंद स्वार्थियो के चलते देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच अलगाव की दीवार खड़ी करने की साजिश होती रही हैं। हालांकि ऐसे लोग अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रहे। हिंदू-मुस्लिम एकता और सद्भाव की एक अनूठी मिसाल राजस्थान के चुरू में देखने को मिली।

चुरू. देश में साम्प्रदायिक मनमुटाव के बीच राजस्थान के चुरू से एक मिसाल पेश करने वाली कहानी सामने आई है। चंद स्वार्थियो के चलते देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच अलगाव की दीवार खड़ी करने की साजिश होती रही हैं। हालांकि ऐसे लोग अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पा रहे। हिंदू-मुस्लिम एकता और सद्भाव की एक अनूठी मिसाल राजस्थान के चुरू में देखने को मिली। यहां मुसलमानों ने एक हिंदू परिवार की बहुत बड़ी आर्थिक मदद की। यहां रहने वाले सनवर्मल शर्मा के मानसिक रूप से विकलांग(mentally challenged children) तीन बच्चे हैं। अपने बच्चों के इलाज पर एक पिता को अपनी सारी जमीन-जायदाद बेचनी पड़ी है। इस कठिन दौर में यह परिवार टूटने लगा था। लेकिन कहते हैं कि इंसान ही इंसान के काम आता है। यहां भी ऐसा ही हुआ। जब उनके मोहल्ले में रहने वाले मुस्लिम परिवारों को इसकी भनक लगी, तो सब मदद के लिए आगे आए। जमीन से लेकर पैसों तक की मदद की।

ऐसी है कुछ कहानी
सनवर्मल शर्मा चुरू शहर के वार्ड नंबर 58 में रहते हैं। उनके तीन बच्चे-एक बेटा और दो बेटियां हैं। ये तीनों मानसिक रूप से बीमार हैं। इनके इलाज पर सनवर्मल को सारी पुश्तैनी जमीन-घर और बाकी सभी चीजें बेचनी पड़ीं। हालांकि उसके बावजूद बच्चों की हेल्थ में कोई सुधार नहीं हुआ। सबकुछ बिक जाने के बाद सनवर्मल अपनी पत्नी सरला और दिव्यांग बच्चों के इलाज के लिए दर-दर भटकने लगे। 

उनके वार्ड से सटे वार्ड नंबर 42 में बड़ी संख्या में मुसलमानों के घर हैं। जब यहां के कुछ लोगों को इसका पता चला, तो उन्होंने मानवीयता के आधार पर सनवर्मल शर्मा की मदद करने की ठानी। बड़ी संख्या में मुसमान जुटे और इस परिवार को 300 स्वायर गज जमीन की पेशकश की। यही नहीं, 80,000 रुपए भी एकत्र किए और परिवार दिए। मुस्लिम लोगों ने इस जमीन पर एक कमरा भी बनवा दिया है, ताकि यह परिवार उसमें रह सके। मुसलमानों ने इस परिवार को आगे भी मदद देने का भरोसा दिलाया है।

वार्ड नंबर 42 के रहने वाले इशाक खान इस मुहिम के सर्वेसर्वा हैं। इशाक खान के बेटे लतीफ ने सनवर्मल शर्मा को अपनी दो बीघा जमीन से 300 वर्ग गज की भूमि दान कर दी। इसकी रजिस्ट्री भी करा दी गई है। लतीफ ने अपने दोस्त इस्लाम और इलाके के अन्य निवासियों की मदद से बाकी मदद भी जुटाई। चुरू की यह कहानी मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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