सार
पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने के कई सारे कारण हो सकते हैं। लेकिन आज हम आपको बताते हैं 5 ऐसी छोटी-छोटी चीजें जो मेल इनफर्टिलिटी को बढ़ाती है और स्पर्म काउंट को कम करती हैं।
रिलेशनशिप डेस्क : खराब लाइफस्टाइल, शारीरिक और मानसिक समस्या के चलते आजकल पुरुषों का स्पर्म काउंट कम होता जा रहा है, जिससे इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ती जाती है। आमतौर पर लोग इसे डाइट और लाइफस्टाइल से जोड़कर देखते हैं। लेकिन आज हम आपको बताते हैं उन पांच चीजों के बारे में जिससे पुरुष संतान सुख से वंचित हो सकते हैं। ऐसे में आप इन चीजों से बचकर अपने स्पर्म काउंट को तेजी से बढ़ा सकते हैं...
टाइट अंडरवियर पहनना
टाइट अंडरवियर पहनने से पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने की समस्या पैदा हो सकती है। मेल फर्टिलिटी पर किए गए एक रिसर्च के मुताबिक जो पुरुष टाइट बॉटम वियर या ब्रीफ पहनते हैं उनके स्पर्म काउंट कम होते हैं। वहीं, जो लोग ब्रीफ की जगह बॉक्सर पहनते हैं उनमें 25% तक अधिक स्पर्म काउंट पाया गया है।
मोटापा
जी हां मोटापा स्पर्म काउंट को कम करने का एक बड़ा कारण हो सकता है। दरअसल, जब आपकी बॉडी में फैट जमा हो जाता है, तो मास इंडेक्स बढ़ जाता है। जिससे टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो जाता है और शुक्राणुओं की संख्या भी कम होने लगती है।
घंटों तक जकूजी में नहाना
अगर आप गर्म बाथ टब या जकूजी में घंटों तक नहाते रहते हैं, तो सतर्क हो जाइए, क्योंकि नियमित रूप से गर्म पानी या जकूजी में नहाने से स्पर्म काउंट कम होने लगता है। दरअसल, स्पर्म बनाने का काम अंडकोष का होता है जो शरीर के बाकी अंगों की तुलना में अधिक ठंडा रहे तो यह बेहतर तरीके से काम करता है। लेकिन जब पुरुष काफी समय तक गर्म पानी से नहाते हैं तो इससे अंडकोष गर्म होने लगते है और सही तरीके से शुक्राणुओं का निर्माण नहीं कर पाते हैं।
अत्यधिक दवाइयों का सेवन करना
जी हां, अगर आप पेनकिलर्स, ऑक्सिकॉप्ट और फेंटेनाइल जैसी दवाइयों का अत्यधिक सेवन करते हैं, जिसमें नशीले पदार्थ मिलाए जाते हैं तो इससे पुरुषों में फर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। साथ ही इससे स्पर्म काउंट में भी कमी आती है। इतना ही नहीं मांसपेशियों की ताकत और स्टेमिना को बढ़ाने के लिए एनाबॉलिक स्टेरॉयड से अंडकोष सिकुड़ सकते हैं और शुक्राणु का उत्पादन कम हो सकता है।
एक्स-रे
अत्यधिक समय तक रेडिएशन या एक्स-रे के संपर्क में आने से शुक्राणुओं का उत्पादन कम हो सकता है। इससे शुक्राणु उत्पादन को सामान्य होने में कई साल लग सकते हैं। एक्स-रे की तेज किरणें शुक्राणु उत्पादन को स्थायी रूप से कम कर सकती हैं।
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