सार

दूल्हा-दुल्हन के बिना क्या कोई शादी हो सकती है। नहीं ना..लेकिन हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर दूल्हा घर में कैद रहता है और दुल्हन की शादी हो जाती हैं। 

रिलेशनशिप डेस्क. भारत में शादी को लेकर अलग-अलग जगह की परंपरा अलग होती है। लेकिन कुछ जगहों पर तो शादी से जुड़ी ऐसी रस्में निभाई जाती है जिसके बारे में जानकर हैरानी होती हैं। यहां एक आदिवासी समाज में दूल्हे के बैगर दुल्हन की शादी होती है। उसके साथ सात फेरे लेती है दूल्हे की छोटी बहन। पढ़कर अजीब लगा ना, लेकिन यह हकीकत है। आज भी ये परंपरा वहां निभाई जाती है।

इन तीन गांव में दूल्हा नहीं निकलता है बारात

गुजरात, मध्य प्रदेश से सटे हुए तीन गांव में यह अजीब परंपरा निभाई जाती है। गांव का नाम है सुरखेड़ा, सनाडा और अंबाला। यहां दूल्हे की छोटी बहन भाई की जगह पर बारात लेकर जाती है और दुल्हन को लेकर आती है। शादी की तैयारी ठीक वैसे ही होती है जैसे अन्य जगहों पर होती है। यहां तक की शादी तमाम रस्में भी वैसे ही निभाई जाती है जैसे हर जगह होती है। बस दूल्हे राजा की जगह उसकी छोटी बहन होती है।

दूल्हा सजता धजता है लेकिन बारात निकालती है बहन

बारात निकलने से पहले दूल्हा शेरवानी और साफा पहनता है। साथ में अपना पारंपरिक तलवार भी लेता है। लेकिन घर से बाहर नहीं निकलता। वो अपनी मां के साथ घर पर रहता है। वहीं, गाजे बाजे के साथ उसकी छोटी बहन सज धज कर बारात लेकर दुल्हन को लेने निकल पड़ती है। दुल्हन के यहां बारात का स्वागत किया जाता है। बहन के साथ दुल्हन सात फेरे लेती है। इसके बाद विदाई होती है। बहन दुल्हन को लेकर घर आती है और उसे भाई को सौंप देती हैं। जिसके बाद यहां कुछ रस्में निभाई जाती है।

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गृहस्थ जीवन में नहीं आए कोई बाधा

यहां मान्यता है कि अगर दूल्हा खुद शादी करने जाता है तो उसका वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं चलता है। लोगों का कहना है कि कुछ लोग इस परंपरा से हटकर शादी करने की कोशिश की तो उनके शादीशुदा जिंदगी में कई मुश्किलें आईं। जिसके बाद सालों से चली आ रही परंपरा को ही लोग निभाते आ रहे हैं। ताकि दंपति के बीच कलह ना हो। पारिवारिक रिश्ता मजबूत बनें।

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