सार

कुछ  लोग कहते हैं कि प्यार अंधा होता है तो कुछ को यह नशीला लगता है। वाकई सच्चा प्यार करने वाले लोगों में अपने पार्टनर के लिए जो तड़प देखने को मिलती है, उससे लगता है कि इसमें नशे जैसा असर होता है। रिसर्चर्स ने भी इस बात को सही माना है। 

लाइफस्टाइल डेस्क। कुछ लोग कहते हैं कि प्यार अंधा होता है तो कुछ को यह नशीला लगता है। वाकई सच्चा प्यार करने वाले लोगों में अपने पार्टनर के लिए जो तड़प देखने को मिलती है, उससे लगता है कि इसमें नशे जैसा असर होता है। रिसर्चर्स ने भी इस बात को सही माना है। लोग प्यार में एक खास तरह की बेचैनी महसूस करते हैं। 

फीलिंग्स को व्यक्त करना नहीं होता आसान
कई बार प्रेमी-प्रेमिका अपनी फीलिंग्स को शब्दों में जाहिर नहीं कर पाते। रिसर्चर्स का कहना है कि उनमें पार्टनर से मिलने की वैसी ही बेचैनी पैदा होती है, जैसे किसी नशे के आदी व्यक्ति को नशा करने के लिए होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा दिमाग की कुछ खास ग्रंथियों के उत्तेजित हो जाने से होता है। वहीं, जब उनकी यह इच्छा पूरी नहीं होती है तो उनमें दुख की भावना पैदा हो जाती है। वे तनाव और डिप्रेशन के शिकार भी हो जाते हैं।  

कहां हुई रिसर्च
प्यार की मादकता को लेकर रिसर्च अमेरिका के मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में कुछ समय पहले हुई थी। इस रिसर्च में 300 से ज्यादा युवा प्रेमी-प्रेमिकाओं को शामिल किया गया और उनसे उनकी फीलिंग्स को लेकर सवाल किए गए। शोध में शामिल ज्यादातर लोगों का कहना था कि उन्हें अपने पार्टनर्स से मिलने के लिए वैसी ही बेचैनी होती है, जैसी कोकीन का नशा करने वाले को कोकीन के लिए होती है। पार्टनर से मिलने पर वे पूरी दुनिया से मानो कट जाते हैं और उन्हें समय का एहसास भी नहीं रह जाता। उल्लेखनीय है कि ऐसा अक्सर नशे की स्थिति में होता है। वहीं, पार्टनर से नहीं मिल पाने की स्थिति में वे अवसाद में चले जाते हैं। यह स्टडी मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के सोशल एंड पर्सनैलिटी साइकोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर सी. एमिली डरबिन की देखरेख में हुई। 

क्या कहा प्रोफेसर डरबिन ने
प्रोफेसर डरबिन ने कहा कि आम तौर पर लोग सोचते हैं कि प्यार दिल से जुड़ी चीज है, लेकिन कोई भी फीलिंग दिमाग में महसूस होती है। उनका कहना था कि साथी से मिलने की चाहत जब पैदा होती है, तो दिमाग की कुछ ग्रंथियां खास तौर पर सक्रिय हो जाती हैं। मिलने की स्थिति में डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है। इससे सुखद अनुभूति होती है। लेकिन जब पार्टनर्स नहीं मिल पाते तो उनमें नेगेटिव सेंटिमेंट्स आने लगते हैं। डोपामाइन का स्तर नीचे चला जाता है। इसलिए वे उदास महसूस करते हैं और सुस्त हो जाते हैं। वैसे, उनका कहना था कि प्रेम संबंधों में भावनाओं की जटिलता को समझने के लिए और भी शोध की जरूरत है।