सार
अर्जुन ने पूछा कि उसे अपनों के खिलाफ ही युद्ध लड़ने की जरूरत क्यों है। तब समय अर्जुन के सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को 700 श्लोक सुनाए जिन्हें हम आज श्रीमद् भग्वतगीता के नाम से जानते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, गीता का उपदेश श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान दिया था। यह युद्ध द्वापर युग में कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। द्वापरयुग आज से लगभग 5000 से 5100 साल पहले का समय था। कई पश्चिमी इतिहासकारों ने इस युद्ध और गीता को झूठ साबित करने की कोशिश भी की है, लेकिन इस युद्ध से जुड़े वैज्ञानिक साक्ष्यों ने ऐसे इतिहासकारों को हमेशा ही गलत साबित किया है। आज के दौर में 5 हजार साल पुराने साहित्य की प्रासंगिकता पर कोई भी सवाल उठा सकता है। मेरे दिमाग में भी ऐसे कई सवाल थे, लेकिन गीता पढ़ने के बाद मुझे एहसास हुआ कि वाकई आज समय में भी गीता का ज्ञान हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है।
अर्जुन रणभूमि में पहुंचते ही सांसारिक समस्याओं में उलझ गया और समाधान की खोज में भागते हुए श्रीकृष्ण के पास पहुंचा। कोई भी इंसान जब खुद से संतुष्ट नहीं होता तभी वह बाहरी मदद की तलाश करता है। अर्जुन रणभूमि में भ्रमित हो गया और युद्ध की आवश्यक्ता पर सवाल करने लगा। अर्जुन ने पूंछा कि उसे अपनों के खिलाफ ही युद्ध लड़ने की जरूरत क्यों है। तबअर्जुन के सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को 700 श्लोक सुनाए जिन्हें हम आज श्रीमद् भग्वतगीता के नाम से जानते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि भग्वतगीता समझने के लिए ये चारे बातें समझना जरूरी हैः
पहला, आपको संसार की समस्याओं की खोज करनी पड़ती है, जिनका समाधान गीता में लिखा है।
दूसरा, आपको सांसारिक मोह से खुद को अलग करना पड़ता है।
तीसरा, कोई भी इंसान किसी भी समस्या को अकेले या तुरंत हल नहीं कर सकता। एक इंसान समस्याओं को सिर्फ पुनर्व्यवस्थित कर सकता है या उनको नया रूप दे सकता है।
चौथा, आपको अपने गुरू के चरणों में पूरी तरह समर्पित हो जाना चाहिए गुरू के बिना गीता का ज्ञान पाना असंभव है।
गीता के अनुसार लगाव, दुःख और भ्रम संसार की सभी समस्याओं की वजह हैं। गीता के ऊपर बन रही इस वीडियो श्रंखला में मैं गीता के 18 अध्यायों की गहराइयों में गोते लगाऊंगा और गीता के ज्ञान को आसान तरीके से आपके सामने रखने का प्रयास करूंगा। मेरे धर्म और उसकी प्रासंगिकता को समझने का यह बहुत ही विनम्र प्रयास है। मुझे उम्मीद है कि हम सब इस सुखद यात्रा का साथ में आनंद लेगें।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA)भी किया है।