सार

 माथे की ये रेखाएं विभिन्न ग्रहों से प्रभावित होती हैं। जानिए मस्तक पर कौन-कौन सी रेखाएं होती हैं व उनका किसी व्यक्ति के स्वभाव पर क्या प्रभाव पड़ता है।

उज्जैन: रेखाएं सिर्फ मनुष्य के हाथों पर ही नहीं बल्कि मस्तक यानी माथे पर भी होती हैं। माथे की ये रेखाएं विभिन्न ग्रहों से प्रभावित होती हैं। शरीर लक्षण विज्ञान के अनुसार, मस्तक की इन रेखाओं को देखकर व्यक्ति के भूत, भविष्य, वर्तमान व स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए व्यक्ति के मस्तक की स्थिति, आकार-प्रकार, रंग तथा चिकनाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। जानिए मस्तक पर कौन-कौन सी रेखाएं होती हैं व उनका किसी व्यक्ति के स्वभाव पर क्या प्रभाव पड़ता है-

शनि रेखा

इस रेखा का स्थान मस्तक में सबसे ऊपर होता है। यह रेखा अधिक लंबी नहीं होती, केवल मस्तक के मध्य भाग में ही दिखाई देती है। समुद्र लक्षण विज्ञान के अनुसार, इस रेखा के आस-पास का भाग शनि ग्रह से प्रभावित माना जाता है।
जिसके मस्तक पर यह रेखा स्पष्ट दिखाई देती है, वह गंभीर स्वभाव का होता है। यदि एक उन्नत मस्तक (थोड़ा उठा हुआ) पर शनि रेखा हो तो ऐसे लोग रहस्यमयी, गंभीर व थोड़े अंहकारी होते हैं। इनके बारे में अधिक जानकारी बहुत कम लोगों के पास होती है। ये सफल जादूगर, ज्योतिर्विद या तांत्रिक हो सकते हैं।

बृहस्पति (गुरु) रेखा

मस्तक पर शनि रेखा से थोड़ी नीचे गुरु रेखा का स्थान होता है। यह रेखा आमतौर पर शनि रेखा की तुलना में थोड़ी लंबी होती है। यह रेखा पढ़ाई, विचार, अध्यात्म, इतिहास संबंधी रुचि एवं महत्वाकांक्षा आदि की सूचक होती है। जिस व्यक्ति के मस्तक पर यह रेखा लंबी एवं स्पष्ट दिखाई देती है, वह आत्मविश्वासी व अपनी बात का पक्का होता है। ऐसे लोगों पर आंख मूंद कर विश्वास किया जा सकता है। ऐसे लोग सरकारी नौकरी या शिक्षा के क्षेत्र में अपना नाम कमाते हैं।

मंगल रेखा

मस्तक के बीच में कुछ ऊपर एवं गुरु रेखा के नीचे मंगल रेखा होती है। इस रेखा की प्रवृत्ति को समझने से पूर्व व्यक्ति के दोनों कानों के ठीक ऊपर के स्थानों तथा उससे कुछ आगे कनपटियों के ठीक ऊपर के स्थानों को भी देखना चाहिए। यदि एक सपाट या उन्नत मस्तक पर मंगल रेखा अपने शुभ गुणों के साथ हो और व्यक्ति के कनपटी से ऊपर के स्थान थोड़े उठे हुए हों तो ऐसा व्यक्ति साहसी, स्वाभिमानी, वीर, धर्मालु, दूरदृष्टि रखने वाला, समझदार एवं रचनात्मक प्रवृत्ति का होता है।

बुध रेखा

इस रेखा का स्थान लगभग मस्तक के बीच में होता है। यह रेखा लंबी होती है और कभी-कभी तो व्यक्ति की दोनों कनपटियों के किनारों को स्पर्श करती हुई दिखाई देती है। बुध रेखा व्यक्ति की याददाश्त, अन्य विषयों में उसका ज्ञान, सूझ-बूझ एवं ईमानदारी की सूचक होती है। यदि यह रेखा शुभ गुणों से युक्त हो तो ऐसा व्यक्ति तेज याददाश्त वाला, कलात्मक कामों में रुचि लेने वाला, सही-गलत की सोच रखने वाला, उच्च मानसिक क्षमता वाला व पारखी प्रवृत्ति का होता है। ऐसे लोगों में किसी भी इंसान को पहचानने की क्षमता सामान्य तौर पर अधिक होती है।

शुक्र रेखा

इस रेखा का स्थान बुध रेखा के ठीक नीचे केवल मध्य भाग में होता है। यह रेखा आमतौर पर छोटे आकार की होती है। यह रेखा उत्तम स्वास्थ्य, भ्रमण प्रवृत्ति, आकर्षक एवं सम्मोहक व्यक्तित्व की सूचक होती है। उन्नत मस्तक पर यदि यह रेखा स्पष्ट रूप से दिखाई दे तो ऐसा व्यक्ति स्फूर्ति, आशा व उत्साह से भरा रहता है। ऐसे व्यक्ति उच्च जीवन शक्ति से युक्त, घूमने-फिरने वाले, सौंदर्य प्रेमी एवं जरूरी मुद्दों पर गंभीर होते हैं। ऐसे लोग स्वच्छ, साफ तथा सफेद रंग अधिक पसंद करते हैं।

सूर्य रेखा

इस रेखा का स्थान मनुष्य की दाईं आंख की भौंह के ऊपर होता है। यह रेखा अधिक लंबी नहीं होती, सिर्फ आंख के ऊपर सीमित होती है। यह रेखा प्रतिभा, मौलिकता, सफलता, यश तथा समृद्धि की प्रतीक होती है। यदि यह रेखा शुभ गुणों से युक्त हो तो ऐसे व्यक्ति में अद्भुत सूझबूझ होती है। ऐसे लोग अनुशासन में रहना पसंद करते हैं। ये लोग अच्छे गणितज्ञ, शासक या नेता हो सकते हैं। ये अपने सिद्धांतों तथा व्यवहार से लोगों को बहुत जल्दी प्रभावित कर लेते हैं।

चंद्र रेखा

यह रेखा बांई आंख की भौंह के ऊपर होती है। यदि यह रेखा सरल, सीधी व स्पष्ट हो तो ऐसा व्यक्ति कलाप्रेमी, एकांतप्रिय, विकसित बुद्धि वाला तथा कल्पनाशील होता है। इनकी रुचि चित्रकला, गायन, संगीत आदि क्षेत्रों में होती है। कभी-कभी ऐसी रेखा वाले लोग आध्यात्म प्रिय सिद्ध एवं दूरदृष्टि वाले होते हैं।