सार
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार धरती पर सबसे पहले मनुष्य मनु थे। उन्हीं से मनुष्यों का वंश आगे बढ़ा। उनके द्वारा लिखा गया मनु स्मृति नामक ग्रंथ आज भी प्रासंगिक है।
उज्जैन. मनु स्मृति के एक श्लोक में बताया गया है कि किन 7 चीजों को बिना संकोच किए लेने की कोशिश करना चाहिए। ये श्लोक तथा इससे जुड़ा लाइफ मैनेजमेंट इस प्रकार हैं-
श्लोक
स्त्रियो रत्नान्यथो विद्या धर्मः शौचं सुभाषितम्।
विविधानि च शिल्पानि समादेयानि सर्वतः।।
अर्थ- जहां कहीं या जिस किसी से (अच्छे या बुरे व्यक्ति, अच्छी या बुरी जगह आदि पर ध्यान दिए बिना) 1. सुंदर स्त्री, 2. रत्न, 3. विद्या, 4. धर्म, 5. पवित्रता, 6. उपदेश तथा 7. भिन्न-भिन्न प्रकार के शिल्प मिलते हों, उन्हें बिना किसी संकोच से प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
1. रत्न
हीरा कोयले की खान में मिलता है और मोती समुद्र की गहराइयों में। ये दोनों ही स्थान साफ-स्वच्छ नहीं होते, लेकिन फिर भी यहां से प्राप्त होने वाले रत्न बेशकीमती होते हैं और हम इन्हें धारण भी करते हैं। इसलिए मनु स्मृति में कहा गया है कि रत्न किसी भी स्थान से मिले, उसे लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
2. विद्या
विद्या यानी ज्ञान जहां से भी, जिस किसी भी व्यक्ति से, चाहे वो अच्छा हो या बुरा, लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। ज्ञान सिर्फ सुनने तक ही सीमित नहीं है, उसे अपने आचार-विचार, व्यवहार व जीवन में उतारने पर ही हम अपने लक्ष्य को आसानी से पा सकते हैं।
3. धर्म
धर्म हमें अपना काम जिम्मेदारी से करना सिखाता है। दूसरों की भलाई करना, किसी भी परिस्थिति में अपने चरित्र को बेदाग बनाए रखना, पूरी ईमानदारी से अपने परिवार का पालन-पोषण करना व हमेशा सच बोलना भी धर्म का ही एक रूप है। जहां कहीं से भी हमें सादा जीवन-उच्च विचार जैसे सिद्धांत मिले, उसे ग्रहण करने की कोशिश करनी चाहिए। यही धर्म का सार है।
4. पवित्रता
पवित्रता का संबंध सिर्फ शरीर से ही नहीं बल्कि आचार-विचार, व्यवहार व सोच से भी है। जब तक हमारा व्यवहार व सोच पवित्र नहीं होंगे, हम जीवन में उन्नति नहीं कर सकते। जब हमारा व्यवहार व मानसिकता पवित्र होगी, तभी हम बिना झिझक अपना काम जिम्मेदारी से कर पाएंगे और अपना लक्ष्य पाने में सफल भी होंगे।
5. उपदेश
यदि आप कहीं से गुजर रहे हों और कोई संत या महात्मा उपदेश दे रहे हों तो थोड़ी देर वहां रुकने में संकोच नहीं करना चाहिए। किसी संत का उपदेश आपको नया रास्ता दिखा सकता है। संतों के उपदेश में ही मन की शांति, लक्ष्य की प्राप्ति, परिवार की संतुष्टि व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी के अहम सूत्र आपको मिल सकते हैं।
6. भिन्न-भिन्न प्रकार के शिल्प
शिल्प से यहां अभिप्राय कला से है। कला सिखाने वाले व्यक्ति के चरित्र या स्थान के अच्छा-बुरा होने पर ध्यान दिए बिना ही पूरी निष्ठा से कला सीखनी चाहिए। यही कला आगे जाकर आपके जीवन की आजीविका बन सकती है या आपको प्रसिद्धि दिला सकती है।
7. सुंदर स्त्री
यहां सुंदरता का संबंध सिर्फ चेहरे से नहीं बल्कि चरित्र से भी है। जिस स्त्री का चरित्र साफ-स्वच्छ है, वह अपने कुल के साथ-साथ अपने पति के कुल का भी मान बढ़ाती है। यदि चरित्रवान स्त्री किसी नीच कुल से भी संबंध रखती हो, तो भी उसे पत्नी बनाने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।