सार
नवरात्रि के नौ दिनों का अलग-अलग महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस बार अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को दोपहर तक रहेगी।
उज्जैन. नवरात्रि के नौ दिनों का अलग-अलग महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस बार अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को दोपहर तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो अगले दिन दोपहर 12.37 तक रहेगी। नवमी तिथि दोपहर तक रहने के कारण बहुत से लोगों के मन में ये संशय है कि नवमी पूजन किस दिन और किस समय करें। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट से जानिए नवमी पूजा और दुर्गा विसर्जन के लिए कौन-सा दिन श्रेष्ठ रहेगा-
7 अक्टूबर को ही नवमी पूजा करें
पं. भट्ट के अनुसार 6 अक्टूबर को नवमी तिथि दोपहर लगभग 12.05 से प्रारंभ होगी, जो अगले दिन यानी 7 अक्टूर को दोपहर 12.37 तक रहेगी। यानी इस दिन नवमी तिथि में सूर्योदय होगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवी पूजन के लिए सूर्योदय व्यापिनी तिथि ली जाती है। इसलिए नवमी पूजन इसी दिन करना श्रेष्ठ रहेगा।
जिन परिवारों में सुबह कुलदेवी पूजा करने की परंपरा है, वे सुबह ही पूजा कर सकते हैं और जो लोग शाम को कुलदेवी की पूजा करते हैं, वे शाम को भी नवमी पूजा कर सकते हैं।
8 अक्टूबर को करें जवारे विसर्जन
7 अक्टूबर को नवमी तिथि दोपहर 12.37 बजे तक रहेगी, बाद में दशमी तिथि शुरू होगी जो 8 अक्टूबर दोपहर 2.50 तक रहेगी। इसके लिए भी सूर्योदय व्यापिनी तिथि ली जाती है। 8 अक्टूबर को दशमी तिथि में सूर्योदय होगा, इसलिए जवारे व दुर्गा विसर्जन 8 अक्टूबर को करना ही श्रेष्ठ रहेगा।