7 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन है। इस दिन देवी के सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाती है।
नवरात्रि में देवी के अनेक रूपों यानी अवतारों की पूजा की जाती है। इनमें से कई अवतार देवी ने दैत्यों के संहार करने हेतु लिए थे।
शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन (7 अक्टूबर) मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं।
दुष्टों के नाश और अपने भक्तों की रक्षा के लिए देवी ने अनेक रूपों में अवतार लिए। देवी का ऐसा ही एक अनोखा अवतार है शाकंभरी।
प्रतिवर्ष विजयादशमी (8 अक्टूबर) पर रावण दहन किया जाता है। रावण परम विद्वान व शक्तिशाली था। रावण ने न सिर्फ मनुष्यों बल्कि देवताओं को भी हराया था।
देवी भागवत महापुराण देवी दुर्गा पर आधारित सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। इसमें देवी भगवती के सभी अवतारों और चमत्कारों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
भारत के अलावा आस-पास के अन्य देशों में भी देवी के अनेक शक्तिपीठ हैं। ऐसा ही एक शक्तिपीठ है बांग्लादेश के बगोरा जिले के शेरपुर कस्बे से 28 किलोमीटर दूर भबानीपुर।
शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन (6 अक्टूबर) मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है। इनकी चार भुजाएं हैं।
6 अक्टूबर, रविवार को शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। नवरात्रि के बाकी के दिनों की तुलना में ये दिन कुछ ज्यादा ही खास माना जाता है।
गुजरात के पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ी पर बना देवी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां दक्षिणमुखी काली मां की मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर पावागढ़ की ऊँची पहाड़ियों के बीच लगभग 550 मीटर की ऊंचाई पर है।