ग्रह-नक्षत्रों के विशेष संयोग से इस साल पितृ पक्ष बहुत शुभ रहने वाला है।
भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पी यानी इंजीनियर कहा जाता है। ग्रंथों के अनुसार देवताओं के लिए भवनों, महलों व रथों आदि का निर्माण विश्वकर्मा ही करते हैं।
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक का समय पितरों के तर्पण, श्राद्ध व पिंडदान के लिए उत्तम माना गया है। इन 16 दिनों को ही श्राद्ध पक्ष कहते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष होता है। इस बार श्राद्ध पक्ष 13 सितंबर, शुक्रवार से शुरू हो रहा है, जो 28 सितंबर, शनिवार तक रहेगा।
कालसर्प दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है, उसे अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष को बहुत ही पवित्र समय माना गया है। श्राद्ध पक्ष से कई परंपराएं भी जुड़ी हैं।
इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है। श्राद्ध के बारे में अनेक धर्म ग्रंथों में कई बातें बताई गई हैं।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि पर पितरों की प्रसन्नता के लिए नवमी का श्राद्ध किया जाता है।
जब परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो ब्राह्मण द्वारा गरुड़ पुराण का पाठ करवाने की परंपरा है।
श्राद्ध पितरों को प्रसन्न करने का एक माध्यम होता है।