सार
इस बार पौष मास की शुरूआत 13 दिसंबर से होगी, जो 10 जनवरी तक रहेगा। ये हिंदू पंचांग का दसवा महीना है। इस महीने से जुड़ी अनेक परंपराएं और मान्यताएं धर्म ग्रंथों में बताई गई हैं।
उज्जैन. इस महीने से जुड़ी ऐसी ही एक परंपरा है भगवान सूर्यदेव की पूजा करना। वैसे तो सूर्यदेव की उपासना रोज करनी चाहिए, लेकिन इस महीने में सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है। ये है इस परंपरा से जुड़ा वैज्ञानिक पक्ष…
इसलिए पौष मास में सूर्यदेव की पूजा का खास महत्व...
- पौष मास में शीत ऋतु अपने चरम पर होती है। ठंड की अधिकता के कारण त्वचा से संबंधित बीमारियां होने लगती हैं।
- साथ ही ठंड के कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है, जो हमें सूर्य की किरणों से मिलता है।
- सूर्यदेव को अर्घ्य देने और पूजा करने के दौरान उसकी किरणें हमारे शरीर पर पड़ती हैं।
- सूर्य की गर्मी के कारण त्वचा की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है साथ ही विटामिन डी की कमी भी पूरी होती है।
- शीत ऋतु के कारण पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है। सूर्य की किरणों के संपर्क में रहने से वह भी ठीक रहती है।
- पौष मास के दौरान दिन छोटे होते हैं और रातें बड़ी। इसलिए इस समय सूर्य का किरणें हमारे शरीर को निरोगी बनाए रखने के लिए जरूरी होती हैं।
- यही कारण है कि पौष मास में भगवान सूर्यदेव की पूजा की परंपरा बनाई गई है।