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Chaitra Navratri 2024: 13 अप्रैल को शोभन योग में करें देवी स्कंदमाता की पूजा, जानें मंत्र-आरती सहित पूरी डिटेल
Chaitra Navratri 2024 Skandmata: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन की देवी स्कंदमाता हैं। इनकी पूजा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और मानसिक सुख-शांति का अनुभव भी होता है। इनकी गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय हैं।
| Published : Apr 12 2024, 04:24 PM IST
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13 अप्रैल को करें स्कंदमाता की पूजा
Chaitra Navratri 2024 Devi Skandmata Puja Vidhi: 13 अप्रैल, शनिवार को चैत्र नवरात्रि 2024 का पांचवां दिन है। इस दिन देवी के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन शोभन नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इस योग में की गई पूजा का विशेष फल मिलता है। देवी स्कंदमाता से जुड़ी कईं कथाएं और मान्यताएं धर्म ग्रंथों में बताई गई हैं। आगे जानिए देवी स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र, आरती, कथा और महत्व…
ये है स्कंदमाता की कथा (Skandmata Ki Katha)
पुराणों के अनुसार, किसी समय तारकासुर एक पराक्रमी दैत्य था। उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। उसे वरदान प्राप्त था कि उसका वध सिर्फ भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही हो सकता है। शिव और देवी पार्वती के मिलन से कार्तिकेय नाम का पराक्रमी पुत्र उत्पन्न हुआ। देवताओं ने कार्तिकेय को अपना सेनापति माना और तारकासुर से युद्ध किया। अंत में कार्तिकेय के हाथों तारकासुर का वध हुआ। कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। इनकी माता होने के कारण ही देवी का एक नाम स्कंदमाता पड़ा।
ऐसा है स्कंदमाता का स्वरूप (Navratri ke Panchve Din Kis Devi Ki Puja Kare)
स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय बैठे हुए हैं। इनका वाहन शैर है, कुछ ग्रंथों में इनका आसन कमल का फूल भी बताया गया है, इसलिए इनका एक नाम पद्मासना भी प्रचलित है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें अस्त्र-शस्त्र और कमल के फूल हैं। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है।
इस विधि से करें देवी स्कंदमाता की पूजा (Skandmata Ki Puja Vidhi-Mantra)
- 13 अप्रैल, शनिवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद घर में किसी साफ स्थान पर गंगाजल या गोमूत्र छिड़कर पवित्र करें।
- यहां एक लकड़ी की चौकी पर देवी स्कंदमाता का चित्र स्थापित करें। सबसे पहले फूलों की माला पहनाएं, तिलक करें।
- माता के चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक लगाएं। अबीर, गुलाल, सिंदूर, मेहंदी, हल्दी, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- देवी को केले का भोग अतिप्रिय है। भोग लगाने के बाद नीचे लिखा मंत्र बोलें और देवी की विधि-विधान से आरती करें-
या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता की आरती (Skandmata Ki Aarti)
नाम तुम्हारा आता, सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी।।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरो मैं तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भगत प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाए
दास को सदा बचाने आई, चमन की आस पुराने आई।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।