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Chaitra Navratri 2024: 12 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन देवी के किस रूप की पूजा करें? जानें पूजा विधि सहित पूरी डिटेल
Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि में हर दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा का विधान है। देवी के इन रूपों का अपना खास महत्व है। जानें चैत्र नवरात्रि 2024 के चौथे दिन देवी के किस रूप की पूजा करें?
| Published : Apr 11 2024, 04:55 PM IST
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12 अप्रैल को करें देवी कूष्मांडा की पूजा
Chaitra Navratri 2024 Devi Kushmanda Puja Vidhi: इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व 9 से 17 अप्रैल के बीच मनाया जा रहा है। नवरात्रि के 9 दिनों में रोज देवी के एक अलग रूप की पूजा का विधान है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि के चौथे दिन की देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा से जुड़ी अनेक कथाएं और परंपराएं भी ग्रंथों में बताई गई हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन यानी 12 अप्रैल, शुक्रवार को देवी कूष्मांडा की पूजा की जाएगी। आगे डिटेल में जानें देवी कूष्मांडा की पूजा विधि, आरती, कथा आदि बातें…
ये है देवी कूष्मांडा की कथा (Devi Kushmanda Ki Katha)
पुराणों के अनुसार, देवी कूष्मांडा के पेट से ही इस संसार की उत्पत्ति हुई है। नवदुर्गाओं में से एक मात्र देवी कूष्मांडा ही सूर्य लोक में वास करती हैं, इतनी क्षमता अन्य किसी भी देवी-देवता में नहीं है। देवी कूष्मांडा को कुम्हड़े यानी कद्दू की बलि विशेष रूप चढ़ाई जाती है। इनकी पूजा से संसार का हर दुख दूर हो जाता है।
ऐसा है माता का स्वरूप (Navratri ke Choute Din Kis Devi Ki Puja Kare)
पुराणों में देवी का स्वरूप बताया गया है। उसके अनुसार, देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। इन 8 भुजाओं में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, कलश, चक्र और गदा है। देवी के आठवें हाथ में मंत्र जाप की माला है। इनका वाहन सिंह है। देवी कूष्मांडा की पूजा से भक्तों के सभी रोग और शोक मिट जाते हैं।
इस विधि से करें देवी कूष्मांडा की पूजा (Devi Kushmanda Ki Puja Vidhi)
- चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन यानी 12 अप्रैल, गुरुवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- घर में किसी साफ स्थान पर लकड़ी की चौकी स्थापित करें और लाल कपड़ा बिछाएं। चौकी पर देवी कूष्मांडा की तस्वीर स्थापित करें।
- देवी कूष्मांडा के चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं और फूलों की माला अर्पित करें।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, हल्दी, मेहंदी, आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। देवी को मालपुए का भोग लगाएं।
- नीचे लिखे मंत्र का 11 बार जाप करें और आरती करें-
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां कूष्मांडा की आरती (Devi Kushmanda Aarti)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुंचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।