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Chaitra Navratri 2024: 14 अप्रैल को देवी के किस रूप की पूजा करें? जानें विधि, कथा, मंत्र और आरती
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14 अप्रैल को करें देवी कात्यायनी की पूजा
Chaitra Navratri 2024 Devi Katyayani Puja Vidhi: देवी पुराण में देवी के 9 रूपों का वर्णन हैं, इन्हें नवदुर्गा कहते हैं। चैत्र नवरात्रि में हर दिन देवी के अलग स्वरूप की पूजा का विधान है। इसी क्रम में छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि में 14 अप्रैल, रविवार को इनकी पूजा की जाएगी। देवी कात्यायनी से जुड़ी अनेक कथाएं और मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। आगे जानिए देवी कात्यायनी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती व कथा सहित पूरी डिटेल…
ये हैं देवी कात्यायनी की कथा (Devi Katyayani Ki Katha)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि कात्यायन नाम के एक ऋषि थे। वे माता के परम भक्त थे। उन्होंने माता को प्रसन्न करने के लिए कईं सालों तक तपस्या किया। माता ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए। महर्षि कात्यायन ने उनसे वरदान मांगा कि ‘मुझे आप ही समान एक पुत्री चाहिए।’ देवी ने उन्हें ये वरदान दे दिया और स्वयं ही उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया। महर्षि कात्यायन की पुत्री होने से ही इनका नाम कात्यायनी हुआ।
ऐसा है माता का स्वरूप (Navratri ke Chathe Din Kis Devi Ki Puja Kare)
देवी पुराण के अनुसार, मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वरदान देने वाली स्थिति में है। बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। इनका वाहन शेर है। इनका रूप अत्यंत सौम्य है। कुछ ग्रंथों में ये भी लिखा है कि रावण भी माता कात्यायनी का भक्त था।
इस विधि से करें देवी कात्यायनी की पूजा (Devi Katyayani Ki Puja Vidhi)
- 14 अप्रैल, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में किसी साफ स्थान पर देवी कात्यायनी की तस्वीर स्थापित करें।
- तस्वीर के एक तरफ पानी से भरा कलश रखें और सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। देवी को तिलक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं।
- देवी कात्यायनी को अबीर, गुलाल, रोली, चावल, लाल फूल, लाल चूड़ी आदि चीजें भेंट करें। शहद का भोग विशेष रूप से लगाएं।
- देवी कात्यायनी का ध्यान करते हुए नीचे लिखा मंत्र बोलें और आरती करें।
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।
देवी कात्यायनी की आरती (Devi Katyayani Ki Aarti)
जय जय अम्बे जय कात्यानी, जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है, यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी, कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली, अपना नाम जपाने वाली
बृह्स्पतिवार को पूजा करिए, ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी, भंडारे भरपूर करेगी
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे, कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।