सार
Ravan ki Aarti: हर साल दशहरे के मौके पर रावण दहन की परंपरा पूरे देश में निभाई जाती है, लेकिन महाराष्ट्र के एक गांव में इस मौके पर रावण की आरती की जाती है। जहां कहां है ये परंपरा और रावण की आरती…
Dussehra Par Kaha Hoti Hai Ravan Ki Aarti: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर विजयादशमी यानी दशहरा (Dussehra 2023) पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 24 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूरे देश में रावण दहन किया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र (Maharashtra) के अकोला जिले (Akola district) के संगोला गांव (Sangola village) में इस दिन रावण की पूजा और महाआरती की जाती है। यहां रावण की एक प्रतिमा भी है, जो काले पत्थर से बनी है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…
300 सालों से जारी है ये परंपरा
संगोला गांव के स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां हर साल दशहरे का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन गांव के सभी लोग रावण की पूजा करते हैं और महाआरती का आयोजन होता है। मान्यता है कि रावण के आशीर्वाद से ही गांव में खुशहाली है। लोगों का मानना है कि रावण महाविद्वान था। ये परंपरा यहां 300 सालों से चली आ रही है। यहां के लोग रावण के साथ-साथ भगवान श्रीराम की भी पूजा करते हैं।
ये है रावण की आरती (Ravan ki Aarti Lyrics In Hindi)
आरती कीजे दशानन जी की। लंकापति श्री रावण जी की।।
जाके बल से त्रिलोक डरता ।सुमिरो जो भूखा न मरता।।
कैकसी पुत्र महाबल दायी। बना दे जो पर्वत को रायी।।
संतो को सदा तुमने मारा। पृथ्वी का कुछ बोच उतारा।।
बहन की नाक का बदला लीन्हा। सीता को अगवा कर दीन्हा।।
राम ने धमकी कई भिजवाई। तुमने सबकी सब ठुकराई।।
सीता की खोज में वानर आया। पूत तुम्हारा पकड़ उसे लाया।।
तेल में उसकी पूछ जलाई। फिर पीछे से आग लगाई।।
वानर बोमा बचाए हलका। उछल कूद में जल गयी लंका।।
फिर भी तुम हिम्मत नही हारी। लंका इक दिन में बना दारी।।
बिचड़ा पुत प्राणों को देके। फिर भी न युद्ध में घुटने टेके।।
राम की सेना में आगे आयो। कितनो को तुम मार गिरायो।।
भ्राता ने जब गद्दारी दिखाई। वीरगति तब तुमने पाई।।
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