सार

Jaya Parvati Vrat 2023: आषाढ़ मास में जया पार्वती व्रत किया जाता है। कुछ ग्रंथों में इसे विजया पार्वती व्रत भी कहा गया है। इस बार ये व्रत 1 जुलाइ, शनिवार को किया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते ये व्रत और भी खास हो गया है।

 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत किया जाता है। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा का विधान है। कुछ ग्रंथों में इसे विजया पार्वती व्रत भी कहा गया है। (Jaya Parvati Vrat 2023) इस बार ये तिथि 1 जुलाई, शनिवार को है। मान्यता है इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।1 जुलाई, शनिवार को ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इस दिन ये व्रत करना और भी शुभ रहेगा। आगे जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय…

जया पार्वती व्रत के शुभ योग व मुहूर्त (Jaya Parvati Vrat 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, 1 जुलाई को अनुराधा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग रहेगा। साथ ही शुभ और शुक्ल नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन बनेंगे। इन तीन शुभ योगों के चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:03 से 12:57 तक
लाभ- दोपहर 02:11 से 03:51 तक
अमृत- दोपहर 03:51 से 05:32 तक

इस विधि से करें जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat Puja Vidhi)
- 1 जुलाई, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूल केर व्रत-पूजा का संकल्प लें और बोलें- मैं मनोकामना सिद्धि और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए ये व्रत कर रही हूं, इसका फल मुझे प्राप्त हो।
- इसके बाद ऊपर बताए गए किसी एक एक मुहूर्त में पूजा के लिए भगवान की चौकी सजाएं। बैल पर बैठे शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। सबसे पहले शु्दध घी का दीपक जलाएं, इसके बाद हार फूल अर्पित करें।
- पहले जल से फिर पंचामृत से अंत में एक बार पुन: जल से शिव-पार्वती का अभिषेक करें। कुंकुम, कस्तूरी, अष्टगंध सहित अन्य पूजन सामग्री एक-एक करके चढ़ाएं। ऐसा करते समय ऊं नम: शिवाय का जाप करते रहें।
- देवी को लाल वस्त्र और शिवजी को सफेद वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद मौसमी फल, नारियल और अपनी इच्छा अनुसार मिठाई या किसी अन्य चीज का भोग लगाएं। देवी पार्वती के मंत्रों का जाप करें।
- किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर व्रत की कथा सुनें। ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर विदा करें। शाम को बिना नमक वाला भोजन या फलाहार करें। इस व्रत के शुभ प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।