Jitiya Vrat: जितिया व्रत माताएं अपनी संतान की दीर्घायु और कल्याण के लिए रखती हैं। इस व्रत के दौरान महिलाएं सुरक्षा का प्रतीक पवित्र धागा पहनती हैं। व्रत पूरा होने के बाद, धागे को सम्मानपूर्वक पवित्र नदियों में विसर्जित कर देना चाहिए
Jitiya Vrat 2025 Rules: जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, माताओं द्वारा अपनी संतान की दीर्घायु, सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। तीन दिनों तक चलने वाले इस कठिन व्रत में माताएं निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के दौरान और व्रत के बाद भी कई प्रकार के नियमों और परंपराओं का पालन किया जाता है। इन्हीं महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है व्रत में पहने जाने वाले जितिया धागे का विसर्जन। कई माताओं को यह नहीं पता होता कि व्रत के बाद इस धागे का विसर्जन कहाँ और कैसे करना चाहिए। आइए जानते हैं इस धागे के सही विसर्जन से जुड़े नियम।
जितिया धागा क्या होता है?
जितिया व्रत में एक विशेष धागा या डोरी पहनी जाती है, जिसे जितिया धागा कहते हैं। यह धागा आमतौर पर रेशमी या सूती होता है और इसमें कुछ गांठें होती हैं। व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा के दौरान भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद इसे अपने गले या हाथ में पहनती हैं। यह धागा संतान की रक्षा का प्रतीक माना जाता है और पूरे व्रत के दौरान पहना जाता है।

जितिया व्रत के बाद धागा कब और कैसे उतारें?
जितिया व्रत पूरा होने के बाद ही इस धागे को हटाया जाता है। व्रत पूरा होने से पहले धागे को नहीं हटाना चाहिए, क्योंकि यह व्रत का अभिन्न अंग है। व्रत पूरा होने के बाद, माताएं श्रद्धापूर्वक इस धागे को अपने गले या हाथ से हटा सकती हैं। इस धागे को हटाते समय मन में संतान की दीर्घायु और कल्याण की कामना करनी चाहिए।
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जितिया व्रत के बाद धागा को कहां विसर्जित करें?
- नदी या तालाब में विसर्जन- जितिया धागे को विसर्जित करने का सबसे अच्छा स्थान किसी पवित्र नदी या तालाब का जल है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसे जल में विसर्जित करने से इस धागे में निहित सकारात्मक ऊर्जा प्रकृति में वापस लौट जाती है। इसे प्रवाहित करते समय, भगवान सूर्य और जीवित्पुत्रिका देवी से अपनी संतान के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
- पीपल के पेड़ के पास- यदि आपके आस-पास कोई नदी या तालाब नहीं है, तो आप इस धागे को पीपल के पेड़ के नीचे रख सकते हैं। पीपल का पेड़ पवित्र माना जाता है और इसे देवस्थान के समान माना जाता है। पेड़ की जड़ के पास धागा रखने से भी व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है।

जितिया व्रत के बाद क्या न करें?
- कूड़ेदान में न फेंकें: जितिया धागे को कभी भी कूड़े या किसी अपवित्र स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए। यह व्रत की पवित्रता और आस्था का अपमान माना जाता है। ऐसा करने से व्रत का फल नष्ट हो सकता है।
- घर में न रखें: इस धागे को घर के किसी भी कोने में ज़्यादा देर तक नहीं रखना चाहिए। व्रत के तुरंत बाद इसे विधिवत विसर्जित कर देना चाहिए।
- जलाएं नहीं: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी पूजनीय वस्तु को जलाना उचित नहीं माना जाता है। धागे को जलाने से बचें।
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Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
