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Anant Chaturdashi 2025: 6 या 7 सितंबर, कब है अनंत चतुर्दशी? जानें मंत्र-मुहूर्त

Anant Chaturdashi 2025 Date: भाद्रपद मास में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। आगे जानिए साल 2025 में कब करें अनंत चतुर्दशी व्रत?

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Manish Meharele
Published : Sep 04 2025, 10:43 AM IST
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जानें अनंत चतुर्दशी से जुड़ी हर बात
Image Credit : Getty

जानें अनंत चतुर्दशी से जुड़ी हर बात

Anant Chaturdashi Puja Vidhi-Shubh Muhurat: धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। भगवान विष्णु का ही एक नाम अनंत है। इसलिए इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। इस व्रत से जुड़े अनेक नियम हैं जो इसे और भी खास बनाते हैं। अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। आगे जानिए 2025 में कब है अनंत चतुर्दशी, कैसे करें व्रत-पूजा और शुभ मुहुर्त की डिटेल…

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कब है अनंत चतुर्दशी 2025?
Image Credit : Getty

कब है अनंत चतुर्दशी 2025?

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 5 सितंबर, शुक्रवार की रात 03 बजकर 13 मिनिट से शुरू होगी, जो 6 सितंबर, शनिवार की रात 01 बजकर 41 मिनिट तक रहेगी। चूंकि चतुर्दशी तिथि का सूर्योदय 6 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाएगा।

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अनंत चतुर्दशी 2025 शुभ मुहूर्त
Image Credit : Getty

अनंत चतुर्दशी 2025 शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर, शनिवार की सुबह 06 बजकर 02 मिनिट से शुरू होगा जो रात 01 बजकर 41 मिनिट तक रहेगा। यानी इस दिन भक्तों को पूजा के लिए पूरे 19 घण्टे 39 मिनट का समय मिलेगा। विशेष शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
सुबह 07:47 से 09:19 तक
दोपहर 12:00 से 12:49 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:25 से 01:57 तक
दोपहर 03:30 से 05:03

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अनंत चतुर्दशी व्रत-पूजा विधि (Anant Chaturdashi Vrat Puja Vidhi)
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अनंत चतुर्दशी व्रत-पूजा विधि (Anant Chaturdashi Vrat Puja Vidhi)

- 6 सितंबर, शनिवार की सुबह नहान के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें।
- शुभ मुहूर्त शुरू होने पर भगवान विष्णु की पूजा करें। साफ स्थान पर भगवान विष्णु का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान विष्णु के सामने अनन्त सूत्र (14 गांठ वाला धागा) रख इसकी भी पूजा करें। भगवान को
तिलक करें।
- शुद्ध घी का दीपक लगाएं। पीले वस्त्र, अबीर, चंदन, फूल, जनेऊ, फल आदि चीजें एक-एक कर भगवान को चढ़ाएं।
- भगवान को भोग लगाएं और ये मंत्र बोलें-
नमस्ते देवदेवेशे नमस्ते धरणीधर।
नमस्ते सर्वनागेंद्र नमस्ते पुरुषोत्तम।।
न्यूनातिरिक्तानि परिस्फुटानि।
यानीह कर्माणि मया कृतानि।।
सर्वाणि चैतानि मम क्षमस्व।
प्रयाहि तुष्ट: पुनरागमाय।।
दाता च विष्णुर्भगवाननन्त:।
प्रतिग्रहीता च स एव विष्णु:।।
तस्मात्तवया सर्वमिदं ततं च।
प्रसीद देवेश वरान् ददस्व।।
- इसके बाद अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा सुनें। पुरुष दाएं हाथ में अनंत रक्षासूत्र बांधें और महिलाएं बाएं हाथ में। रक्षासूत्र बांधते समय ये मंत्र बोलना चाहिए-
अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।
अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।।
- इस प्रकार अनंत चतुर्दशी की पूजा करने के बाद जरूरतमंदों को अपनी इच्छा अनुसार भोजन और अनाद आदि दान करें फिर स्वयं भोजन करें। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

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भगवान विष्णु की आरती ( Om Jai Jagdish Hare Lyrics in Hindi)
Image Credit : Getty

भगवान विष्णु की आरती ( Om Jai Jagdish Hare Lyrics in Hindi)

ओम जय जगदीश हरे , स्वामी!
जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ऊं जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ओम जय जगदीश हरे।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।
पूजा विधि
शुभ मुहूर्त

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